रोजगार और विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ाने के लिए पर्यटन शिक्षा पाठ्यक्रम में शामिल हो

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डॉ. अनुकृति शर्मा का तुर्की में आयोजित तृतीय अंतर्राष्ट्रीय टूरिज्म कांग्रेस में सम्बोधन

कोटा। कोटा विश्वविद्यालय में वाणिज्य एवं प्रबंधन विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अनुकृति शर्मा ने तुर्की में आयोजित तृतीय अंतर्राष्ट्रीय टूरिज्म कांग्रेस में मुख्य वक्ता के रुप में भाग लिया।

इस दौरान सत्र को संबोधित करते हुए डॉ. अनुकृति शर्मा ने कहा कि यात्रा और पर्यटन अब तेजी से फैलने वाला उद्योग है। जो बड़ी संख्या में कुशल और अकुशल दोनों प्रकार के श्रमिकों को रोजगार देता है। यह क्षेत्र किसी भी देश के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि का एक महत्वपूर्ण श्रोत हो सकता है। पर्यटन शिक्षा को पाठ्यक्रम में शमिल किया जाए तो यह रोजगार और विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ाने वाला साबित हो सकता है।

उन्होंने कहा कि वर्ष 1992 में घोषित की गई पर्यटन के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना में भारत में पर्यटन शिक्षा के महत्व को रेखांकित किया गया था। इसके बावजूद वर्तमान उच्च शिक्षा महत्वाकांक्षी पर्यटन पेशेवरों की मांगों को पूरा करने में सक्षम नहीं है। आज भी पर्यटन पाठ्यक्रमों में विशेष डिग्री या डिप्लोमा वाले कुशल लोगों की कमी है।

कॉलेज और यूनिवर्सिटीज में पर्यटन में डिग्री या डिप्लोमा कार्यक्रमों के लिए कोई अनिवार्य पाठ्यक्रम नहीं है। वर्तमान में चल रही पर्यटन शिक्षा केवल प्रशिक्षित कर्मचारी तैयार करती है, सक्षम प्रबंधक या सफल व्यवसायी नहीं।

अधिकांश विश्वविद्यालयों और कॉलेजों ने कुछ वर्षों में अपने पाठ्यक्रम को अपडेट नहीं किया है। इन पाठयक्रमों में अनुभव की तुलना में सैद्धांतिक ज्ञान पर अधिक जोर दिया गया है। अधिकांश छात्र भी पर्यटन प्रबंधन में पाठ्यक्रम लेने को प्राथमिकता नहीं देते हैं।

डॉ अनुकृति ने कहा कि तथ्य यह है कि सर्वश्रेष्ठ छात्र एमबीए कार्यक्रम चुनते हैं। जबकि अन्य पर्यटन समेत दूसरा कोर्स चुनते हैं, जिससे पता चलता है कि पर्यटन क्षेत्र योग्य आवेदकों को आकर्षित करने के लिए संघर्ष कर रहा है। ऐसे में, यह क्षेत्र अभी प्रचुर संभावनाओं से भरा है।