नई दिल्ली। Stock Market : आम चुनाव के नतीजों को लेकर अनिश्चितता और चीन के बाजारों में आकर्षक मूल्यांकन के चलते विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने मई में अबतक भारतीय शेयर बाजारों से 28,200 करोड़ रुपये की निकासी की है।
मॉरीशस के साथ भारत की कर संधि (India’s tax treaty with Mauritius) में बदलाव और अमेरिका में बॉन्ड यील्ड बढ़ने की चिंता के बीच अप्रैल में FPI ने शेयरों से शुद्ध रूप से 8,700 करोड़ रुपये निकाले थे। इससे पहले FPI ने मार्च में शेयरों में 35,098 करोड़ रुपये और फरवरी में 1,539 करोड़ रुपये डाले थे।
आगे चलकर चुनाव नतीजों के बाद FPI के इक्विटी प्रवाह में नाटकीय बदलाव देखने को मिल सकता है। जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार (Chief Investment Strategist of Geojit Financial Services) वी के विजयकुमार ने कहा कि राजनीतिक स्थिरता की स्थिति में भारतीय बाजार में भारी निवेश आएगा।
क्वॉन्टेस रिसर्च (Quantace Research) के स्मॉलकेस मैनेजर और संस्थापक कार्तिक जोनागडला ने कहा, लोकसभा चुनावों के बाद, भारत में एफपीआई का प्रवाह तीन प्रमुख कारकों के कारण मजबूत हो सकता है – अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में संभावित ढील, वैश्विक भू-राजनीतिक तनाव में सकारात्मक समाधान और MSCI Emerging Markets Index में भारत का बढ़ता वेटेज 2024 के मध्य तक 20 प्रतिशत से अधिक होने का अनुमान है।
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने इस महीने 17 मई तक शेयरों से शुद्ध रूप से 28,242 करोड़ रुपये निकाले हैं।
मोजोपीएमएस ( MojoPMS) के मुख्य निवेश अधिकारी सुनील दमानिया ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में FPI की बिकवाली की मुख्य दो वजह हैं। पहली चुनावी नतीजों को लेकर अनिश्चितता है। FPI आमतौर पर अनिश्चितता की स्थिति में सुरक्षित तरीका अपनाते हैं।
इसके अलावा बाजार मूल्यांकन काफी ऊंचा है जिसकी वजह से एफपीआई बिकवाली कर रहे हैं।
आंकड़ों के अनुसार, इसी अवधि में FPI ने ऋण या बॉन्ड बाजार में 178 करोड़ रुपये का निवेश किया है। इससे पहले FPI ने मार्च में बॉन्ड बाजार में 13,602 करोड़ रुपये, फरवरी में 22,419 करोड़ रुपये और जनवरी में 19,836 करोड़ रुपये का निवेश किया था। कुल मिलाकर इस साल अबतक FPI शेयरों से 26,000 करोड़ रुपये निकाल चुके हैं। हालांकि, इस दौरान उन्होंने बॉन्ड बाजार में 45,000 करोड़ रुपये डाले हैं।