-कृष्ण बलदेव हाडा-
Lok Saabha Election 2024: आखिरकार देश के सबसे बड़े राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी की जातीय समीकरण के हिसाब से सबसे अधिक विश्वस्त मानी जाने वाली राजपूतों की लोकसभा चुनाव में गुजरात की राजकोट सीट से केंद्रीय मंत्री पुरूषोत्तम रूपाला का टिकट काटने की मांग को सिरे से न केवल दरकिनार कर लिया है, बल्कि पिछले मंगलवार को राजकोट में रूपाला ने पूरे जोश और दमखम दिखाते हुए अपना नामांकन पर्चा दाखिल किया, बल्कि नाम वापसी का अंतिम दिन होने के बावजूद पुरूषोत्तम रूपाला ने नाम वापस नहीं लिया गया है।
पुरूषोत्तम रूपाला को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके सबसे निकट एवं विश्वस्त सहयोगी अमित शाह का काफी नजदीकी माना जाता है। पिछली विधानसभा चुनाव के समय विधायक का चुनाव नहीं लड़ने के बावजूद उन्हें गुजरात में मुख्यमंत्री पद का दावेदार माना जा रहा था, लेकिन उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया।
वे नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में डेयरी और पशुपालन मंत्री के पद पर आसीन हैं। पुरूषोत्तम रूपाला के 22 मार्च को वाल्मीकि समाज के एक सम्मेलन में क्षत्रिय समाज की महिलाओं को लेकर की गई टिप्पणी के कारण न केवल गुजरात में बल्कि उत्तर भारत के राज्यों में भी राजपूत समुदाय के लोगों में उनके खिलाफ जबरदस्त आक्रोश है।
गुजरात में तो पुरूषोत्तम रूपाला को भारतीय जनता पार्टी से राजकोट सीट से प्रत्याशी के रूप में चुनाव नहीं लड़ाने की मांग को लेकर जबरदस्त आंदोलन लगातार किया जाता रहा । राजकोट में ही गुजरात के राजपूत समुदाय ने गत 14 अप्रैल को पुरूषोत्तम रूपाला के विवादित बयान के खिलाफ जबरदस्त शक्ति प्रदर्शन किया था और राजकोट में विशाल महा दरबार जिसे क्षत्रिय अस्मिता महासम्मेलन का नाम लिया गया, का आयोजन किया गया था।
जिसके बारे में कहा जाता है कि उसमें चार लाख से भी अधिक राजपूतों ने भाग लेकर भारतीय जनता पार्टी खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अल्टीमेटम दिया था कि यदि उसे पुरूषोत्तम रूपाला को राजकोट से नामांकन भरने से नहीं रोका गया तो राजपूत समाज आने वाले लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और उसके प्रत्याशियों का न केवल विरोध करेंगे, बल्कि मतदान का भी बहिष्कार करेंगे।
क्षत्रिय अस्मिता महा सम्मेलन में भाग लेने के लिए राजस्थान से करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष महिपाल सिंह मकराना को राजकोट पहुंचने से पहले ही पुलिस ने अपनी हिरासत में ले लिया था और करीब 4 घंटे तक हिरासत में रखने के बाद काफी दबाव पड़ने पर उन्हें छोड़ा था। जिन्होंने राजकोट के रतनपुर में हुए महा दरबार में यह घोषणा की थी कि पुरूषोत्तम रूपाला को चुनाव लड़ाया गया तो देश भर क्षत्रिय समाज भारतीय जनता पार्टी को 200 सीटों पर समेट देगा।
गुजराती राजपूत नेताओं ने इस महा दरबार में यह घोषणा की थी कि मांग न माने जाने की स्थिति में क्षत्रिय समाज के लोग प्रत्येक बूथ पर जाएंगे और मतदाताओं को इस बात के लिए प्रेरित करेंगे कि वह भारतीय जनता पार्टी को वोट नहीं दे। इस महा दरबार में गुजरात के क्षत्रिय समाज की 22 संस्थाओं के कोर कमेटी के बैनर तले करीब चार लाख राजपूतों के शामिल होने का दावा किया गया था और उस दिन जो जनसैलाब राजकोट के रतनपुर में उमड़ा था, उसे देखते हुए यह दावा अतिशयोक्ति पूर्ण नजर नहीं आता।
लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने राजपूतों के हर विरोध-प्रतिरोध को पूरी तरह से दरकिनार कर दिया है और न केवल पुरुषोत्तम रुपाला को राजकोट से भारतीय जनता पार्टी का प्रत्याशी बनाया गया, बल्कि उन्होंने बड़े जोश के साथ पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के साथ एक जोरदार रैली निकालकर अपना नामांकन पर्चा भरा व अपनी बड़ी जीत का भी दावा किया था।
उस समय तक भी क्षत्रिय समाज की उम्मीद थी और वह अपनी मांग पर अड़े हुए थे और उन्होंने यह मांग रखी कि 19 अप्रैल को नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि है। क्षत्रिय समाज ने भारतीय जनता पार्टी को अल्टीमेटम दिया कि वह तब तक पुरुषोत्तम रुपाला को चुनाव मैदान से हटा ले, लेकिन भारतीय जनता पार्टी का नेतृत्व क्षत्रिय समाज की मांग को पूरी तरह से उपेक्षित करने पर आमादा है।
शुक्रवार को अंतिम तारीख निकलने तक पुरुषोत्तम रुपाला ने अपना नाम वापस नहीं लिया। वे अभी पूरी तैयारी के साथ राजकोट सीट पर चुनाव मैदान में डटे हुए हैं, क्योंकि उन्हें उम्मीद ही नहीं बल्कि पूरा विश्वास है कि इस लोकसभा सीट पर क्षत्रिय समाज कितना भी विरोध कर ले, उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकते, क्योंकि आंकड़ों के हिसाब से राजकोट लोकसभा क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या करीब 23 लाख है, जिनमें राजपूत मतदाताओं की संख्या मात्र 1.50 लाख ही है। राजपूत मतदान का बहिष्कार कर सकते हैं। और वे लेकिन वे राजकोट संसदीय क्षेत्र में किसी भी प्रत्याशी को हराने-जिताने की निर्णायक शक्ति नहीं रखते।
हालांकि इसके पहले पुरुषोत्तम रुपाला ने राजपूत समाज की महिलाओं को लेकर जो विवादास्पद बयान दिया था उसको लेकर राजपूतों की नाराजगी को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने थोड़ा गंभीर रूख अपनाया था और राजपूतों को मनाने की कोशिश की। इस क्रम में यह भी तय हुआ था कि राजपूतों की नाराजगी को देखते हुए पुरुषोत्तम रुपाला के प्रति एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए 16 अप्रैल को जब वे नामांकन भरने जाए तो उनके नामांकन रैली में जयपुर के पूर्व राजपरिवार के सदस्य और राजस्थान के उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी भी मौजूद रहे।
पुरुषोत्तम रुपाला तो अपनी नामांकन रैली ने दिया कुमारी को लाने के लिए इतने उतावले थे कि वे 15 अप्रैल की रात ही विशेष विमान लेकर नई दिल्ली से जयपुर पहुंच गए थे। उसके बाद जयपुर में दिया कुमारी की पुरुषोत्तम रुपाला व भाजपा नेतृत्व से उनके क्या बातचीत हुई, इसके बारे में तो पता नहीं चला लेकिन अगले दिन 16 अप्रैल को पुरुषोत्तम रुपाला अकेले ही विशेष विमान से जयपुर से राजकोट के लिए लौटे और पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपाणी के साथ जुलूस निकालकर अपने नामांकन पर्चा भरा।
संभवत भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के कहने के बावजूद दिया कुमारी ने पुरुषोत्तम रुपाला के प्रति राजपूतों की नाराजगी खासकर करनी सेना जिसका राजस्थान में काफी असर है, कि नाराजगी को देखते हुए नामांकन रैली में राजकोट नहीं जाने में ही अपनी भलाई समझी और जिस दिन पुरुषोत्तम रुपाला राजकोट में नामांकन पर्चा दाखिल कर रहे थे, तब दिया कुमारी प्रदेश नागौर संसदीय क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी ज्योति मिर्धा के समर्थन में डीडवाना-कुचामन जिले के परबतसर में नारायणपुरा चौराहे पर जनसभा को संबोधित कर रही थी।
अब जबकि भारतीय जनता पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व उनके सबसे पक्के वोट बैंक समझे जाने वाले राजपूत समाज की मांग को सिरे से दरकिनार कर पुरुषोत्तम रुपाला को राजकोट से चुनाव लड़ाने पर अड़ी हुई है, ऐसे में राजपूत समाज की नाराजगी का लोकसभा चुनाव में गुजरात में कितना असर पड़ेगा, यह देखने वाली बात है। राजपूत नेता मंचन पर यह दावा कर रहे हैं थे राजपूत मतदाताओं का प्रदेश की 22 लोकसभा सीटों पर असर है।
कोटा-बूंदी सांसद सीट से भाजपा के प्रत्याशी ओम बिरला ने सोशल मीडिया पर पोस्ट डाल कर यह कहा है कि पुरुषोत्तम रूपाला की टिप्पणी से भारतीय जनता पार्टी का कोई वास्ता नहीं है। यह उनकी व्यक्तिगत राय है और इससे उनके लोकसभा क्षेत्र में राजपूत मतदाताओं पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ा है। राजपूत मतदाता उनके और भारतीय जनता पार्टी के साथ है और उनका पूरा समर्थन मिल रहा है।