Mayor joins BJP: कोटा दक्षिण के महापौर राजीव अग्रवाल देंगे इस्तीफ़ा या होंगे बर्खास्त!

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राजस्थान के किसी नगर निगम में शायद ही पहले ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है कि निगम बोर्ड का महापौर जिस दल का है तो नेता प्रतिपक्ष भी उसी दल का और दोनों ही सरकारी सुविधाओं को भोग रहे हैं। अब हालत यह है कि कोटा नगर निगम दक्षिण के महापौर राजीव अग्रवाल तो भाजपा में शामिल होने के बाद यह दावा कर रहे है कि अब तो बोर्ड भी भाजपा का है। लेकिन निगम की वित्त समिति के अध्यक्ष देवेश तिवारी ने इस दावे को अत्यंत हास्यास्पद बताते हुए कहा कि नैतिकता का तकाजा तो यह था कि दल बदलने के साथ ही महापौर को तत्काल अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।

-कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा। Mayor Rajeev Aggarwal joins BJP: कोटा नगर निगम दक्षिण में बड़ी पेचीदा स्थित उत्पन्न हो गई है कि वहां अब जिस दल का महापौर है,उसी दल का नेता प्रतिपक्ष भी है। राजस्थान में नगर निगमों के गठन के बाद शायद ही कही ऎसी विचित्र स्थिति बनी हो। हालांकि अब निगम प्रशासन ने भी स्थानीय निकाय विभाग के निदेशक से मार्गदर्शन देने के लिए आग्रह किया है तो कांग्रेस पार्षदों ने महापौर को पद मुक्त करने की मांग की है।

स्वायत्तशासी संस्थानों के पिछले चुनाव के समय कोटा के दोनों नगर निगमों उत्तर एवं दक्षिण में कांग्रेस के बोर्ड बोर्ड बने थे जिनमें दोनों महापौर कांग्रेस के थे। कोटा नगर निगम दक्षिण में कांग्रेस के बहुमत में आने के बाद महापौर राजीव अग्रवाल भारती के नेतृत्व में बॉर्ड गठित किया गया था जिसमें कांग्रेस के ही पवन मीणा उप महापौर निर्वाचित हुए थे और भारतीय जनता पार्टी ने विपक्ष में होने के नाते विवेक राजवंशी को नेता प्रतिपक्ष घोषित किया गया था।

लोकसभा चुनाव की तिथि की घोषणा के बाद कोटा नगर निगम दक्षिण के आधा दर्जन से भी अधिक कांग्रेस पार्षद भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए लेकिन यह सिलसिला यही नहीं थमा और गत 30 मार्च को कोटा नगर निगम दक्षिण के महापौर राजीव अग्रवाल भारती भी कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए, जिसके कारण अब स्थिति यह है कि इस नगर निगम में महापौर और नेता दोनों भारतीय जनता पार्टी के है और दोनों में से किसी ने भी अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया है। दोनों ही पद के अनुसार निगम प्रशासन की ओर से मिलने वाली सुविधाओं का लाभ भी उठा रहे हैं।

दोनों में से किसी ने भी न तो नैतिकता के नाते पद त्याग कर निगम की ओर से मिल रही सुविधाओं को तिलांजलि दी है और न ही स्थानीय निकाय विभाग ने इस मामले में उपलब्ध विकल्पों-प्रावधानों के अनुरूप कोई कानून सम्मत तरीके से फैसला किया है जिसके कारण पिछले एक सप्ताह से भी अधिक समय से उहापोह की स्थिति बनी हुई है कि एक ही नगर निगम में एक ही दल का महापौर भी और नेता प्रतिपक्ष भी कैसे हो सकता है।

क्योंकि दोनों ही पदाधिकारी बदले हुए समीकरण के बावजूद न तो पद छोड़ रहे है और न ही सरकारी सुविधाओं से किनारा कर रहे हैं। दोनों के पास कोटा नगर निगम की ओर से उपलब्ध करवाई गई लग्जरी कार और निगम कार्यालय में वातानुकूलित कार्यालय हैं।

इस बीच कोटा नगर निगम दक्षिण की वित्त समिति के अध्यक्ष देवेश तिवारी ने इस बात को अत्यंत हास्यास्पद बताया कि महापौर राजीव अग्रवाल ने दल बदलने के बाद निगम बोर्ड को भी भारतीय जनता पार्टी का बोर्ड़ घोषित कर दिया है जबकि ऐसा कोई प्रावधान नहीं है बल्कि नैतिकता का तकाजा यह कहता है कि राजीव अग्रवाल को तत्काल अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। उनको अब पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। वह या तो पद छोड़े या राज्य सरकार उनको तत्काल बर्खास्त करें।

वैसे दलबदल के कारण बदली हुई राजनीतिक परिस्थितियों में कोटा नगर निगम दक्षिण में कांग्रेस अब अल्पमत में आ गई है। इस निगम बोर्ड में अब भारतीय जनता पार्टी के 44 सदस्य पार्षद हो गए हैं जबकि कांग्रेस के सदस्यों की संख्या घटकर 35 रह गयी है जबकि एक निर्दलीय पार्षद है। जिन पार्षदों ने दलबदल कर कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा है,उनमें एक-दो निगम की समितियों के पदाधिकारी भी शामिल है और वे भी अब तक अपने पदों पर जमे हुए हैं।

उधर, कोटा नगर निगम दक्षिण के मौजूदा कांग्रेस पार्षदों ने निगम में उत्पन्न हुई स्थिति के लिए स्थानीय निकाय विभाग और नगर निगम प्रशासन को दोषी ठहराया है। इन पार्षदों की ओर से स्थानीय निकाय विभाग के निदेशक, कोटा के जिला कलक्टर और नगर निगम के आयुक्त को पत्र भेजा गया है जिसमें कहा गया है कि राजस्थान नगर पालिका अधिनियम 2009 में यह स्पष्ट प्रावधान है कि पद पर रहने के योग्य नहीं होने की स्थिति में महापौर या तो वह स्वयं अपना इस्तीफा दें या फिर राज्य सरकार उन्हे बर्खास्त करें।

कोटा नगर निगम दक्षिण में स्थिति यह है कि महापौर जिस दल का है तो नेता प्रतिपक्ष भी उसी दल का है और दोनों ही नगर निगम प्रशासन की ओर से मिल रही सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं, यह गलत है। कोई भी फ़ैसला होने के पहले दोनों को मिल रही सुविधाओं को तत्काल वापस लियी जाना चाहिए।

कांग्रेस पार्षदों ने कहा कि नैतिकता का तकाजा तो यह था कि कोटा नगर निगम दक्षिण के महापौर दलबदल करने के साथ ही अपने पद से इस्तीफा देने थे लेकिन सत्ता का लालच इतना हावी है कि उन्होंने नगर पालिका अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए अपने पद को नहीं छोड़ा है तो यह राज्य सरकार की जिम्मेदारी कि वे उन्हें पद से बर्खास्त करें।

पार्षदों की ओर से यह भी कहा गया है कि राजस्थान नगरपालिका अधिनियम 2009 की धारा 24 की उप धारा 10 के तहत यह प्रावधान है कि किसी स्वायत्तशासी निकाय के अध्यक्ष या महापौर के अन्य विपक्षी दल की सदस्यता ग्रहण करने पर वह स्वत: अयोग्य घोषित हो जाता है।

धारा 39 के खंड़ (ग) में राज्य सरकार को यह अधिकार है कि वह ऐसे अध्यक्ष,महापौर को पद से हटा सकती है। कांग्रेस पार्षदों की ओर से भेजे गए इस पत्र पर जिन पार्षदों ने हस्ताक्षर किए हैं उन्हें दिवेश तिवारी, इसरार मोहम्मद, तबस्सुम दरिया, अनुराग गौतम, सोनू भाई सुमन, मोनिका, शीला पाठक, अख्तर मोहम्मद, ऐश्वर्या, रणबीर, मोहनलाल, धनराज गुर्जर, इतनी शर्मा,शिवांगिनी सोनी, पिंकी कुमारी, सलीना शेरी, कुलदीप गौतम साइना आदि के हस्ताक्षर हैं।

कोटा नगर निगम दक्षिण आयुक्त ने भी अब स्थानीय निकाय विभाग के निदेशक से महापौर और कुछ पार्षदों के दलबदल करने के बाद बड़ी स्थिति पर निगम बोर्ड की वैधानिकता के संबंध में मार्गदर्शन मांगा है और इस संबंध में एक पत्र भेजा है।

पत्र में कहा गया है कि कोटा नगर निगम दक्षिण के जब चुनाव हुए थे तब मतदान में कांग्रेस के प्रत्याशी राजीव अग्रवाल को 41 और भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी विवेक राजवंशी को 39 मत मिले थे जिसके आधार पर कांग्रेस के बहुमत को स्वीकार करते हुए राजीव अग्रवाल को महापौर नियुक्त किया गया था और बाद में विवेक राजवंशी निगम के नेता प्रतिपक्ष बनाए गए थे।

अब दल बदल कर महापौर राजीव अग्रवाल कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। इसके अलावा कुछ अन्य पार्षद भी कांग्रेस को छोड़कर भाजपा में आ गए हैं जिसके कारण निगम बोर्ड में दोनों दलों के संख्यात्मक स्थिति बदल गई है। आयुक्त ने स्थानीय निकाय विभाग के निदेशक से इस बारे में अपने दिशा-निर्देश देने का आग्रह किया गया है।