नई दिल्ली। शानदार घरेलू उत्पादन एवं विदेशों से सस्ते खाद्य तेलों के विशाल आयात के कारण सरसों का थोक मंडी भाव घटकर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से काफी नीचे आ गया था जिसे देखते हुए सरकार ने अब इसकी खरीद की प्रक्रिया आरंभ कर दी है।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारीयों का कहना है कि इस बार 28.20 लाख टन सरसों की खरीद का लक्ष्य नियत किया गया है और खरीद की प्रक्रिया अप्रैल से जून की तिमाही में जारी रहेगी।
इस अवधि में मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत प्रमुख उत्पादक प्रांतों में किसानों से सरसों की खरीद की जाएगी। सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य इस बार 5650 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है जो पिछले साल के 5450 रुपए प्रति क्विंटल से 200 रुपए ज्यादा है। एमएसपी पर सरसों की खरीद राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा एवं गुजरात जैसे राज्यों में की जाती है। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार दो केन्द्रीय एजेंसियों- नैफेड एवं एनसीसीएफ द्वारा प्रांतीय एजेंसियों के सहयोग से इन राज्यों में पिछले कुछ दिनों के दौरान करीब 72 हजार टन सरसों की खरीद की गई।
जल्दी ही खरीद की गति तेज होने की संभावना है क्योंकि मंडियों में विशाल मात्रा में नई सरसों की आवक होने लगी है। वर्ष 2020 तथा 2021 में सरसों का भाव ऊंचा रहने से किसानों को आकर्षक आमदनी प्राप्त हुई थी और उसे सरकार को अपना उत्पाद बेचने की जरूरत नहीं पड़ी। लेकिन पिछले साल इसमें नरमी आ गई और सरकारी एजेंसियों को 13-14 लाख टन सरसों की खरीद करनी पड़ी। इस बार खरीद का लक्ष्य काफी ऊंचा रखा गया है