समर्थन मूल्य पर खरीद शुरू नहीं होने से सरसों के भाव में गिरावट का रूख

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नई दिल्ली। प्रमुख उत्पादक मंडियों में नई सरसों की जोरदार आवक हो रही है जबकि उद्योग व्यापार क्षेत्र द्वारा सीमित मात्रा में इसकी खरीद हो रही है। इससे रबी सीजन की इस सबसे महत्वपूर्ण तिलहन फसल का भाव सरकारी समर्थन मूल्य से काफी नीचे चल रहा है। हरियाणा में हैफेड ने 26 मार्च से सरसों खरीदने की घोषणा की थी। अन्य राज्यों में केन्द्रीय एजेंसी- नैफेड को इसकी खरीद शुरू करनी है।

42% कंडीशन सरसों: 22-28 मार्च वाले सप्ताह के दौरान 42 प्रतिशत कंडिशन वाली सरसों का भाव दिल्ली में 5800 रुपए एवं जयपुर में 5450/5475 रुपए प्रति क्विंटल के स्तर पर स्थिर रहा। गुजरात में भी कोई बदलाव नहीं देखा गया लेकिन हरियाणा की मंडियों में 50 से 160 रुपए प्रति क्विंटल तक की गिरावट दर्ज की गई। मध्य प्रदेश की मंडियों में 50 रुपए का उतार-चढ़ाव रहा।

राजस्थान: सबसे प्रमुख उत्पादक प्रान्त- राजस्थान में आमतौर पर सरसों के दाम में नरमी दर्ज की गई। उछलकर और कोटा में दाम 100-100 रुपए नरम रहा। उत्तर प्रदेश की हापुड़ मंडी में सरसों का भाव 25 रुपए गिरकर 5600 रुपए प्रति क्विंटल पर आया जबकि आगरा मंडी में दाम 750 रुपए सुधरकर 5600/5900 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंच गया।

सरसों तेल: सरसों के भाव नरम होने से तेल का दाम भी कमजोर रहा इसमने प्रत्येक 10 किलो पर 10-20 रुपए की नरमी रही। दिल्ली में एक्सपेलर का मूल्य 20 रुपए गिरकर 1005 रुपए तथा चरखी दादरी में 25 रुपए घटकर 1010 रुपए प्रति 10 किलो रह गया। खैरथल, गंगानगर, जयपुर, अलवर एवं टोंक आदि में कच्ची घानी सरसों तेल की कीमत 10 से 20 रुपए तक कमजोर पड़ गई।

आवक: समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर प्रमुख मंडियों में सरसों की आवक 22 मार्च को 14.25 लाख बोरी, 23 मार्च को 14.50 लाख बोरी, 25 मार्च को 15.50 लाख बोरी, 26 मार्च को 16.00 लाख बोरी, 27 मार्च को 15.25 लाख बोरी तथा 28 मार्च को भी 15.25 लाख बोरी दर्ज की गई जबकि सरसों की प्रत्येक बोरी 50 किलो की होती है।