आदित्य सागर महाराज मल्टीनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड लाइफटाइम अचीवमेंट से सम्मानित

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त्रिकाल चौबीस दिगम्बर जैन मंदिर पर सिद्ध महामण्डल विधान का समापन

कोटा। सिद्ध महामण्डल विधान आरकेपुरम त्रिकाल चौबीस दिगम्बर जैन मंदिर में मंगलवार को सम्पन्न हुए। मंदिर अध्यक्ष अंकित जैन ने बताया कि शाश्वत अष्टान्हिक महापर्व के तहत सिद्धशिला पर विराजमान सिद्ध परमेष्ठी के 1024 गुणों की पूजा अर्घ्य देकर सम्पन्न की गई।

प्रतिष्ठाचार्य डॉ.अभिषेक जैन ने सम्पूर्ण अनुष्ठान संगीतमय कराकर भक्तिभाव से 8 दिवसीय श्री सिद्ध चक्र महामंडल विधान एवं विश्वशांति महायज्ञ श्रुतसंवेगी श्रमण आदित्य सागर महाराज के सानिध्य में सम्पन्न करवाया। समापन दिवस पर सर्वप्रथम पाण्डु शिला में 24 वे तीर्थंकर भगवान महावीर को विराजमन कर स्वर्ण कलशों से अभिषेक एवं शांतिधारा कर नित्य नियम पूजा से की गई। साथ ही भगवान के 1008 सहस्त्रनाम का वृहद शांति धारा का वाचन मंत्रोच्चार के साथ किया गया।

इसके बाद सम्पूर्ण विश्व में शांति सौहार्द शांति बने रहे इसलिए विश्व शांति महायज्ञ का आयोजन किया गया था, जिसमे चौबीस तीर्थंकर कुंड, गौतम गणधर कुंड एवं पंच परमेष्ठी कुंड बनाए गए। सचिव अनुज जैन ने बताया कि प्रात: काल विशाल शोभायात्रा का आयोजन मंदिर परिसर से आरकेपुरम क्षेत्र में किया गया। जहां रथो पर विराजित होकर भगवान चांद की पालकी में निकले। उनके पीछे रथों पर इंद्र—इंद्राणी व अन्य जैन समाज के लोग बड़ी संख्या में थे।

हवन कुंडो में अग्नि प्रज्वलित कर ऋषि मंडल, पंच परमेष्ठी, चौबीस तीर्थंकर, विदेह क्षेत्र के बीस तीर्थंकर, चौसठ ऋद्धि मंत्रो की आहुतियां दी गई। हवन कुंड में घी, धूप, कपूर, समिधा, गोला आदि डालकर आहुतियां दी गई। हवन कुंड से निकली सुगंध से बड़ा मंदिर का संपूर्ण जिनालय भक्ति भाव से महक उठा।

सभा के उपरान्त आचार्य आदित्य सागर महाराज को लंदन की संस्था द्वारा मल्टीनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड लाइफटाइम अचीवमेंट से सम्मानित किया गया। गुरूवर किसी सम्मान को हाथ में नहीं लेते हैं, इसलिए दिगम्बर जैन समाज के पदाधिकारी एवं मंदिर समिति के लोगों ने यह पुरस्कार प्राप्त किया।

संस्था के इंडिया सी.ई.ओ.कृष्ण कुमार उपाध्याय ने कहा के ये संस्था के लिए गौरव का क्षण है, जो आचार्य आदित्य सागर जैसे संत ने ये पुरस्कार स्वीकार किया।आध्यात्मिक गुरु और धर्म प्रेरणास्त्रोत आचार्य आदित्य सागर को समाज और युवाओं में नई सोच और चेतना लाने के लिए यह पुरस्कार दिया गया है। इस अवसर पर राजमल पाटोदी, संजय जैन, विनोद जैन टोरडी, महावीर डुंगरवाल, लोकेश बरमुडा, दीपक जैन ,पंकज जैन, प्रकाश जैन, राजकुमार वैद,अशोक पाटनी सहित बडी संख्या में लोग उपस्थित रहे।

रंग बदलने वालों से डरो
आदित्य सागर महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि नीतिकार कहते हैं कि त्यौहार व व्यवहार पर हमेशा विचार करना चाहिए। जिनका व्यवहार नहीं है, उसके त्यौहार का विशेष महत्व नहीं होता है, न ही कोई कीमत होती है। उन्होंने कहा कि कुछ व्यक्ति मौसम से अधिक बदल जाते हैं। मौसम अपने निश्चित समय पर परिवर्तित होते हैं। इसलिए होली पर रंग बदलने वालो से सावधान रहें, रंगो से नहीं। जो लोग बदल जाते हैं यदि फिर आपके जीवन मे आ रहें तो आपकी परिस्थितियों को देखकर आते हैं ।