नई दिल्ली। सफेद (कच्चे) गैर बासमती चावल के शिपमेंट पर प्रतिबंध लागू होने से चालू वित्त वर्ष के शुरूआती सात महीनों में कृषि उत्पादों का कुल निर्यात घट गया। टुकड़ी चावल एवं गेहूं के निर्यात पर पिछले साल से ही प्रतिबंध लगा हुआ है जबकि गैर बासमती सेला चावल पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लागू है।
अगस्त-अक्टूबर 2023 के दौरान बासमती चावल के लिए भी 1200 डॉलर प्रति टन का ऊंचा न्यूनतम निर्यात मूल्य निर्धारित हुआ था। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले चालू वित्त वर्ष के आरंभिक सात महीनों में यानी अप्रैल-अक्टूबर 2023 के दौरान कृषि पदार्थों एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों का निर्यात 9.3 प्रतिशत घटकर 13.98 अरब डॉलर पर सिमट गया।
इसके तहत खासकर अनाजों का निर्यात 10 प्रतिशत की जोरदार गिरावट के साथ 6.17 अरब डॉलर पर अटक गया। सफेद चावल, टुकड़ी चावल एवं गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से ऐसी नौबत उत्पन्न हुई है।
वाणिज्यिक सतर्कता एवं सांख्यिकी महानिदेशालय के अनुसार यद्यपि समीक्षाधीन अवधि के दौरान बासमती चावल का निर्यात 16.27 प्रतिशत बढ़कर 2.95 अरब डॉलर पर पहुंचा मगर गैर बासमती चावल का निर्यात 20.16 प्रतिशत घटकर 2.70 अरब डॉलर रह गया।
मात्रा की दृष्टि से भी चावल के निर्यात में गिरावट आई जिसका प्रमुख कारण सफेद चावल का शिपमेंट अगस्त में बंद होना माना जाता है। अप्रैल-अक्टूबर 2023 के साथ महीनों में देश से कुल 99.10 लाख टन चावल का निर्यात हुआ जो वर्ष 2022 के इन्हीं महीनों के शिपमेंट से 21.50 प्रतिशत कम रहा।
इसके तहत बासमती चावल के निर्यात में तो कुछ सुधार आया मगर सामान्य चावल का शिपमेंट 28 प्रतिशत घटकर 73.10 लाख टन पर अटक गया। लेकिन एपीडा के बास्केट में शामिल कई उत्पादों के निर्यात में इजाफा भी हुआ जिसमें मूंगफली, ग्वार गम तथा ताजे एवं प्रसंस्कृत फल आदि शामिल है।