Rajasthan Election: भाजपा में फिर से मिली वसुंधरा राजे को अहमियत, जानिए क्यों

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जयपुर। Rajasthan Election: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राजस्थान में उम्मीदवार तय करने के मामले पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को काफी अहमियत दी है। वह खुद तो चुनाव लड़ रही हैं, साथ ही उनके समर्थकों को भी काफी टिकट मिले हैं।

भाजपा नेतृत्व ने पिछले कुछ चुनावों से सबक लेते हुए यहां पर कोई जोखिम नहीं उठाया है और वह राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस के खिलाफ सत्ता विरोधी माहौल का लाभ उठाने की पूरी कोशिश कर रही है।

भाजपा ने राजस्थान की 200 सदस्यीय विधानसभा में 124 सीटों के लिए उम्मीदवार तय कर दिए हैं। अब उसे बाकी 76 सीटों के लिए नाम तय करना बाकी है। खास बात यह है कि शुरुआत में वसुंधरा राजे को ज्यादा अहमियत देने से बच रही पार्टी अब रणनीति में बदलाव करती दिख रही है और उनकी राय के अनुसार कई टिकट भी तय किए गए हैं।

41 उम्मीदवारों की पहली सूची में पार्टी में सात सांसदों को उतारने के साथ वसुंधरा राजे के समर्थकों पर भी कैंची चलाई थी, लेकिन दूसरी 83 सीटों की सूची में इसे ठीक करने के साथ ही वसुंधरा राजे को अहमियत दी गई है। इस सूची में लगभग 27 नाम वसुंधरा राजे के करीबियों के हैं।

सूत्रों के अनुसार भाजपा पांच राज्यों के चुनाव में अपनी सबसे मजबूत स्थिति राजस्थान में मान रही है। यहां न केवल हर पांच साल में सत्ता बदलती है, बल्कि राज्य में कांग्रेस में भी बीते पांच साल में काफी उथल-पुथल रही है और एक समय तो सरकार गिरने तक की नौबत तक आ गई थी।

ऐसे में कांग्रेस की अंदरूनी दरारों का भी भाजपा को लाभ मिलने की संभावना है। इन हालात में पार्टी ने राज्य में अपनी सबसे बड़ी नेता को साध कर रखना जरूरी समझा है। हालांकि राज्य में टिकट वितरण को लेकर काफी विरोध भी सामने आ रहा है, लेकिन पार्टी को भरोसा है कि वह अपने नाराज कार्यकर्ताओं को मना लेगी।

दरअसल, कर्नाटक में भाजपा की हार में एक बड़ी वजह बी. एस. येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद से हटाना भी रहा था, क्योंकि पार्टी में उनके कद और प्रभाव वाला दूसरा नेता नहीं था। लगभग यही स्थिति राजस्थान में वसुंधरा राजे को लेकर मानी जा रही है कि वह पार्टी के भीतर व बाहर सबसे प्रभावी नेता हैं।

ऐसे में उनकी नाराजगी पार्टी के समीकरण बिगाड़ सकती है। वैसे भी वसुंधरा खेमा उनको मुख्यमंत्री का चेहरा न बनाने पर अपनी नाराजगी जाहिर करता रहा था। चूंकि पार्टी ने किसी भी राज्य में भावी मुख्यमंत्री का चेहरा तय नहीं किया है, इसलिए राजस्थान में भी वही फार्मूला रहा है।