कार्ष्णि संत बालयोगी महाराज की श्रीमद् भागवत कथा का दूसरा दिन
कोटा। Shrimad Bhagwat Katha: राष्ट्रीय संत कार्ष्णि बालयोगी महाराज (Karshni Sant Balayogi Maharaj) ने श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन सोमवार को कथा के महत्व का वर्णन किया। सनातन धर्म श्रीराम मन्दिर दादाबाड़ी पर आयोजित कथा में बालयोगी महाराज ने कहा कि संकट के समय न संतान काम आती है, ना संपत्ति काम आती है। बल्कि पुण्य और धर्म ही काम आता है।
द्रोपदी के ऊपर जब संकट आया तो कृष्ण ने कृपा की, क्योंकि द्रौपदी ने अपनी साड़ी का चीर फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दिया था। कथा व्यास बालयोगी महाराज ने बताया कि भगवान की कथा विचार, वैराग्य, ज्ञान और हरि से मिलने का मार्ग बता देती है। राजा परीक्षित के कारण भागवत कथा पृथ्वी के लोगों को सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। समाज द्वारा बनाए गए नियम गलत हो सकते हैं, किंतु भगवान के नियम ना तो गलत हो सकते हैं और नहीं बदले जा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि भागवत के चार अक्षर इसका तात्पर्य यह है कि भा से भक्ति, ग से ज्ञान, व से वैराग्य और त त्याग जो हमारे जीवन में प्रदान करे उसे हम भागवत कहते हैं। इसके साथ साथ भागवत के छह प्रश्न, निष्काम भक्ति, 24 अवतार श्री नारद जी का पूर्व जन्म, परीक्षित जन्म, कुन्ती देवी के सुख के अवसर में भी विपत्ति की याचना करती है। क्योंकि दुख में ही तो गोविन्द का दर्शन होता है।
जीवन की अन्तिम बेला में दादा भीष्म गोपाल का दर्शन करते हुए अद्भुत देह त्याग का वर्णन किया। साथ साथ परीक्षित को श्राप तथा शुकदेव की मुक्ति संबंधी कथाओं का भावपूर्ण वर्णन किया। यजमान शेरसिंह राजावत ने भागवत पूजन कर कथा का शुभारम्भ कराया। कार्ष्णि सेवा समिति के प्रवक्ता लीलाधर मेहता ने बताया कि कथा प्रतिदिन 1 बजे से 5 बजे तक आयोजित हो रही है।