जिसे दुनिया नकार देती है उसे महादेव अपनाते हैं: पं. प्रदीप मिश्रा

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कोटा में पांच दिवसीय पितृदेव शिवमहापुराण कथा की पूर्णाहुति

कोटा। संघर्षों से हार मान लेने वाले लोगों को पंडित प्रदीप मिश्रा ने व्यासपीठ से बड़ा संदेश दिया है। साथ ही, सनातन का विरोध करने वालों पर भी तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि सनातन को बचाने वालों के साथ हमें खड़ा होना होगा। जो राम का नहीं है वह किसी काम का नहीं है। उन्होंने कहा कि राम और कृष्ण के जीवन में बहुत दुख आए, लेकिन उन्हें झेलकर ही वे ‘राम’ और ‘ कृष्ण’ बन पाए।

अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा की पिछले 5 दिनों से चल रही पितृदेव शिव महापुराण कथा की गुरुवार को पूर्णाहुति की गई। इस दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी कथा में पूरे समय रहकर आशीर्वाद प्राप्त किया। कथा के उपरांत आयोजित भंडारे में लाखों लोगों ने हलवे और पूरी की प्रसादी प्राप्त की। कथा के दौरान राजीव दत्ता, विभाग प्रचारक धर्मराज, महानगर संघचालक गोपाल गर्ग समेत कई लोग मौजूद रहे।

विधायक संदीप शर्मा के सानिध्य में आयोजित पितृदेव शिव महापुराण कथा के दौरान प्रवचन करते हुए पं. प्रदीप मिश्रा ने कहा कि व्यासपीठ राजनीति की कुर्सी नहीं है इसलिए अधिक नहीं कह सकते। लेकिन इतना कह सकते हैं कि जो राम का है, वही हमारा है, जो भगवान का है वही हमारा है।

पंडित मिश्रा ने कहा कि मंदिरों, शिवालयों को तोड़कर उनको अन्य रूप में ढाला गया। अपनी सत्ता स्थापित करने के प्रयास किए गए। तब भी जगतगुरु शंकराचार्य ने चार धाम बनाकर शिवतत्व को स्थापित किया था। तोड़े गए शिवालय, मंदिर आज कलिकाल में पुनर्स्थापित हो रहे हैं।

कलिकाल में फिर से धर्म ध्वजा फहराई जा रही है। विश्व का कल्याण तभी होगा जब हम सनातन को बचाने वालों का साथ देंगे। तुम सनातन बचाने वालों के साथ खड़े रहो। सनातन बचेगा तो हम मंदिर और शिवालय जा पाएंगे। सनातन धर्म की रक्षा हमारा प्रण है।

उन्होंने कहा कि कोचिंग करने के लिए कोटा आए विद्यार्थी कभी सोचते हैं कि टेस्ट अच्छा नहीं हुआ तो जिंदगी बेकार हो गई। माता-पिता पूंजी लगाकर उन्हें यहां भेजते हैं, लेकिन पूंजी से मतलब नहीं, जिंदगी से मतलब है। एक छोटी सी परीक्षा जरूरी नहीं है। महादेव संघर्ष में आगे बढ़ना सिखाते हैं। कभी भावुक हो जाओ तो शिव को हृदय में रखकर विचार करना।

पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि जिसे दुनिया नकार देती है, ठुकरा देती है। उसे महादेव अपनाते हैं। शिवजी ने विष पिया, छप्पन भोग छोड़ कर धतूरा अपने पास रखा, जहरीले से जहरीला फूल उन पर चढ़ता है, कनेर और आंक अपने पास रखते हैं, इन्हें गाय या कोई अन्य पशु पक्षी भी नहीं खाते। जिनमें विष भरा है। उन्हें महादेव ने गले लगाया है। जितने भी असुर हुए हैं, उनका शिव से कोई बैर नहीं रहा।

सबको इंद्रलोक चाहिए, बैकुंठ चाहिए, लेकिन शंकर भगवान का कैलाश किसी को नहीं चाहिए। वे गंधर्व, किन्नर, देव, मनुष्य सभी पर कृपा करते हैं। वे पशु पक्षियों पर कृपा करने वाले भगवान पशुपतिनाथ भी हैं। उन्होंने कहा कि महादेव मृत्युलोक के देवता हैं। दुख की घड़ी में जिस प्रकार से सबसे पहले हमारी देवरानी, जेठानी, सास काम आती है। दूर बैठे हमारी मां, बहन पिता बाद में आते हैं। उसी प्रकार से सबसे पहले मृत्यु लोक के देवता महादेव ही हमारी तकलीफ को दूर करने के लिए आते हैं।

उन्होंने कहा कि जो केवल देने का काम करते हैं। कभी किसी से कुछ नहीं लेते, वही महादेव हैं। तुम्हारे सब रिश्तेदार तुमसे कुछ ना कुछ चाहते हैं, लेकिन शिव तुमसे कुछ नहीं चाहते। तुम्हारे पास बिल्वपत्र और धतूरा नहीं है, तो मत चढ़ाओ।

अपने मुंह से बम भोले बोलकर, ताली बजाकर, महादेव के मंदिर के शिखर के दर्शन करके भक्ति करो और इतना भी नहीं कर सकते तो महादेव के मंदिर के आगे से एक स्माइल करते हुए निकल जाओ। इतने में भी महादेव आपकी भक्ति को स्वीकार कर लेंगे। भगवान शंकर की अनन्य भक्ति को पाने का हम सभी को प्रयास करना चाहिए।

पण्डित मिश्रा ने कहा कि कभी किसी को भोजन न दे सको तो मत दो, प्रॉपर्टी देना जरूरी नहीं है, सोना चांदी देना जरूर नहीं है, महाशिव पुराण कहती है कि हमारे कारण किसी की आंख में आंसू नहीं आना चाहिए। उन्होंने कहा कि कष्ट कितना भी हो, कभी भी मंदिर में जाते समय, गुरु के दरवाजे पर, बाबुल के घर जाएं तो चेहरे पर प्रसन्नता होनी चाहिए। बाप को गले लगाते समय नैनों में आंसू नहीं चेहरे पर हंसी होनी चाहिए। अपने भीतर का रसत्व कभी खत्म मत होने देना।

पंडित मिश्रा ने कहा कि घोड़े की रेस में घोड़े को नहीं पता होता कि वह किसी एग्जाम में बैठा है, उसे केवल दौड़ना होता है। घोड़े का मालिक उसे चाबुक मारता है, मालिक उसे कष्ट देता है, इसलिए वह और तेजी से दौड़ता जाता है। वह दौड़ते हुए अंत में सबसे आगे निकल जाता है।

पृथ्वी पर जन्म लेने पर तुम पर कष्ट आए तो समझना ईश्वर तुम्हें आगे ले जाना चाहता है। उन्होंने कहा कि राम वन को न जाते तो कभी राम नहीं बन पाते। तुम अपना दुखड़ा रोते हो, लेकिन भगवान कृष्ण का दुखड़ा देखो। जब जन्म हुआ तो पिता जेल में थे, जन्म होते ही मां से दूर हो गए। बड़े हुए तो चोरी का आरोप लगाया गया। द्वारका पहुंचने पर भी उन्हें सुख प्राप्त नहीं हुआ। इसके बावजूद भी उन्होंने गीता का उपदेश दिया, जो हमें जीना सिखाती है।

उन्होंने कहा कि होली दिवाली गणेश उत्सव आते हैं तो सनातन द्रोही भ्रम फैलाने लगते हैं। कुछ लोग संत को जानते नहीं है और नहीं शिव को पहचानते हैं। शंकर का प्रसाद नहीं लेते। ऐसे लोग शमशान भी नहीं जाएं। क्योंकि शमशान में भी देवों के देव महादेव विराजते हैं। उन्होंने कहा कि अब कथा सुनकर लोग बिल्व पत्र और रुद्राक्ष के महत्व को समझने लगे हैं।

रुद्राक्ष केवल सीहोर में मिलते हैं
पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि सीहोर का रुद्राक्ष केवल सीहोर में ही मिलता है। वहां से रुद्राक्ष लेकर आना, रात भर गला देना, सुबह महादेव को चढ़ाकर आचमन करना। उसका फल अवश्य मिलेगा

पत्रों में होती है महादेव की अनुभूति
उन्होंने कहा कि भटकने से कुछ नहीं होगा। मेहनत, कर्म, विल पावर और शंकर को अर्पित जल तथा शिव महापुराण श्रवण से ही लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि भाग्य बनाना ब्रह्मा जी का काम है। लेकिन लिखी लाइन को ठीक करना महादेव का काम है। हम शंकर को देखना नहीं चाहते, हम शंकर को महसूस करते हैं। यहां रोजाना आने वाले पत्रों में लिखी हुई वाणी हमें महादेव के होने की अनुभूति कराती है।

भजनों पर झूमे भक्त
इस दौरान “मत बुरे कर्म कर प्राणी.. अरे अज्ञानी मत कर नादानी… खाली न जाता कोई… मुझे तेरा ही सहारा है, मेरे भोले बाबा… बोल बम का नारा है, बाबा ही एक सहारा है.. एक लोटा जल हर समस्या का हल… तेरे भरोसे मेरी गाड़ी, तू जाने तेरा काम जाने… शिवशंकर जपूं तेरी माला.. भोला सब दुख काटो आज.. सुना है बम भोले तेरी काशी में गंगा है, शंभू शरण पड़ी जपु घड़ी-घड़ी..” सरीखे भजनों पर भक्तों को झूमने पर मजबूर कर दिया।

संत ही दिखाते हैं, आध्यात्म का मार्ग: बिरला
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि संतों का सत्संग, संतों की अमृतवाणी, संतों का ज्ञान हमें सदमार्ग दिखाता है। संन्त की वाणी को जीवन में आत्मसात करने से सारे मार्ग खुल जाते हैं। आज आध्यात्मिक नगरी कोटा में हर घर में बम बम भोले के स्वर सुनाई दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि शिव परिवार की ओर से जल्दी ही शिवधाम की की स्थापना की जाएगी।

विधायक संदीप शर्मा ने जताया आभार
विधायक संदीप शर्मा ने कहा कि कोटा भगवान नीलकंठ की नगरी है। पंडित प्रदीप मिश्रा के आशीर्वचन ने भक्तों को कृतार्थ कर दिया है। सदैव सेवक बनकर शिवभक्तों की सेवा करता रहूंगा। उन्होंने कहा कि स्पीकर ओम बिरला ने बचपन से सेवा की जो राह दिखाई, उनके पुण्य प्रताप से यह सब संभव हो सका। उन्होंने कहा कि 5 दिन की पुनीत पावन देवपितृ शिव महापुराण कथा से सभी भक्तों के पितर पितृलोक में बैठे आशीर्वाद दे रहे होंगे। नगरवासियों को इस कथा का पूरा लाभ मिलेगा और पितरों की कृपा सदैव भक्तों पर रहेगी। संदीप शर्मा ने आयोजन में सहयोग करने वाले सभी कार्यकर्ताओं, प्रशासन, पुलिस, मीडिया, सुरक्षाकर्मियों का आभार जताया।

गांवों में एलईडी लगाकर सुनी कथा
पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और विधायक संदीप शर्मा के सानिध्य में यह कथा संपन्न हुई है। आप दोनों को सनातन धर्म के लिए कार्य करने का अवसर मिला है। उन्होंने कहा कि सुबह 5 बजे से आसपास ट्रैफिक जाम हो गया था। कहीं लोग रात को ही कथा पंडाल में रुक गए थे। उन्होंने बताया कि कोटा के आसपास गांव में एलईडी लगाकर, टेंट लगाकर लोग कथा सुन रहे थे। किसी दुकान पर टीवी लगाकर लोग भक्तों को कथा का लाभ दे रहे थे। उन्होंने कहा कि अनेक पत्र मिल रहे हैं। जिनमें यह कहा गया है कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और विधायक संदीप शर्मा ने कोटा में कथा कराकर कृपा की है। शिव की कृपा से कोटा में कथा आई है। प्रभु भक्ति का प्रसाद उन्हें जरूर मिलेगा।

पंडित मिश्रा के दर्शन कर तोड़ा उपवास
बिहार के संतोष मिश्रा ने पंडित प्रदीप मिश्रा के दर्शन नहीं होने तक 30 सितंबर से ही अन्न जल त्याग रखा था। ऐसे में, पंडित प्रदीप मिश्रा ने कथा के दौरान संतोष मिश्रा को मंच पर बुलाया और बिल्व पत्र भेंट कर सम्मान किया। पं. प्रदीप मिश्रा ने कहा कि 7 अक्टूबर से छत्तीसगढ़ में गौपितृ शिव महापुराण कथा आयोजित की जाएगी।