सीएडी और यूआईटी की करोड़ों की जमीन पर भूमाफियाओं का कब्जा

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अवैध कब्जे का खुलासा करने वाले व्यक्ति के खिलाफ कराई एफआईआर

कोटा। सीएडी और नगर विकास न्यास की रायपुरा तथा कंसुआ स्थित करोड़ों की जमीन पर भूमाफियाओं ने अवैध कब्जा कर लिया लेकिन दोनों विभाग गहरी नींद में सोए हैं। अवैध कब्जे का खुलासा एक व्यक्ति गजेन्द्र सिंह उर्फ घनश्याम सिंह द्वारा अपनी खरीदशुदा कृषि भूमि की पैमाइश के दौरान हुआ।

गजेंद्र सिंह उर्फ घनश्याम सिंह ने सोमवार को पत्रकारों को बताया कि सीएडी की जमीन कंसुआ में खसरा नंबर 479 तथा रायपुरा में खसरा नंबर 370 और 371 पर मौजूद है। विभागीय रिकार्ड में यह भूमि नहर से निकलने वाले पानी के धोरे के रुप में दर्ज है। सैटेलाइट इमेज में भी यहां पिछले एक वर्ष में निर्माण होना बताया जा रहा है।

मौके पर खसरा नंबर 370 पर हृदय आवास कॉलोनी बना दी गई है। वहीं सीएडी की खसरा नंबर 371 और 479 भूमि पर बाउंड्री बनवा दी गई है। कंसुआ ग्राम के रिकॉर्ड में खसरा नंबर 478 और 480 सिवायचक भूमि के रूप में दर्ज है लेकिन इन खसरों को रिकॉर्ड में छोटा करके बता दिया गया है और इन खसरों को दूसरी जगह दर्ज कर दिया गया है। रायपुरा चंबल की नहर में खसरा नंबर 371, 370 और 365 में धौरे बने हुए थे। जमाबंदी की सूचना में खसरा नंबर 370 को नहर का बताया गया है। सैटेलाइट रिपोर्ट में भी यहां पर नहर दर्ज है लेकिन अब यहां पर किसी और के नाम से जमाबंदी दिखा दी गई है।

विभाग को सूचना दी तो भूमाफियाओं ने किया हमला
गजेंद्र सिंह (घनश्याम सिंह) ने बताया कि सरकारी जमीन पर भूमाफियाओं के कब्जे की जानकारी सीएडी के अधीक्षण अभियन्ता, सिंचाई विभाग, संभागीय आयुक्त, जिला कलेक्टर, मुख्य सिंचाई अभियंता, समेत विभिन्न स्तरों पर भेजी गई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। जब इस बारे में भू माफिया को जानकारी मिली तो जान से मारने की धमकी दी गई। उन्होंने बताया कि 19 अप्रैल को हथियारों से लैस बदमाशों ने हमला किया। वह पूर्व में घर के बहार धमका ने भी आये जो सीसीटीवी में कैद हो गया।

जमीन पर कब्जा करने के लिए कराया झूठा मुकदमा दर्ज
गजेंद्र सिंह यादव ने बताया कि यहां पर मौजूद भूमि पर अवैध कब्जा करने की नीयत और दबाव बनाने के लिए भूमाफिया मिथुन सरोजा, बॉबी मेवाड़ा, हितेंद्र सिंह, अब्दुल फरीद, अभिमन्यु सिंह ने मुख्तारनामे पर फर्जी हस्ताक्षर कर प्लाट बेचने का झूठा आरोप लगाकर एफआईआर दर्ज करा दी। जिसे पुलिस अनुसंधान तथा फॉरेंसिक एफसीएल जांच में सही पाये गये गया है। जिस पर न्यायालय एसीजेएम क्रम संख्या 7 कोटा के द्वारा एफआर स्वीकृति के लिए भेजा गया लेकिन भूमाफिया और भ्रष्ट प्रशासन के गठजोड़ के द्वारा व्यक्ति की मां के द्वारे मुकादम कारवाने पे मुकादम नंबर 449/18 को एफआर के एक दिन पहले ख़तम किया गया झूठा बता के क्योंकि मामला इनके खिलाफ जाएगा क्योंकि सामने वाले व्यक्ति बहुत प्रभावशाली हैं प्रशासन उनके पुरा दवाओं में है अगर इस मामले की दोबारा जांच की जाए तो ये इनके खिलाफ जाएगा जीवन के प्रति कड़ा निर्णय लेने के लिए बाध्य किया जा रहा है।