मिशन 2030 को लेकर व्यापारियों, उद्यमियों, टैक्स बार एसोसिएशन एवं जीएसटी विभाग की बैठक
कोटा। कोटा व्यापार महासंघ के अध्यक्ष क्रांति जैन एवं महासचिव अशोक माहेश्वरी ने बताया कि मिशन 2030 को लेकर व्यापारियों, उद्यमियों, टैक्स बार एसोसिएशन व जीएसटी विभाग की एक बैठक जीएसटी विभाग के अतिरिक्त आयुक्त शंभू दयाल मीणा की अध्यक्षता में हुई। बैठक में दी एसएसआई एसोसियेशन के अध्यक्ष गोविंद राम मित्तल, अध्यक्ष अमित सिंघल, कोटा मोटर व्हीकल डीलर्स एसोसियेशन के सचिव अनिल मूंदड़ा, टैक्स बार एसोसिएशन के एमएलपाटोदी, पारस जैन, यशवंत लोढ़ा एवं जीएसटी विभाग के संयुक्त आयुक्त शिवेंद्र कुमार सक्सेना, मोजीराम मीणा आदि ने भाग लिया ।
माहेश्वरी ने बताया कि जीएसटी लागू हुए 6 साल हो चुके हैं, लेकिन अभी तक इसमें कई विसंगतियां व्याप्त है। अगर हमें राजस्थान को पूर्ण विकसित राज्य के रूप में स्थापित करना है तो वर्तमान परिवेश में कई बदलाव करने पड़ेंगे। जीएसटी लागू करते समय यही अपेक्षा की जा रही थी कि पूरे देश में एक ही तरह का कर एवं अंतर्राष्ट्रीय तर्ज पर एक ही स्लेब होगा।
लेकिन आज अलग-अलग वस्तुओं पर अलग-अलग टैक्स की दर लागू है। साथ ही जीएसटी में भी कई स्लेब बने हुए हैं। अतः मिशन 2030 को सफल बनाना है तो पूरे देश में एक ही स्लैब एवं सभी राज्यों में एक समान दरें लागू करनी होगी। जैन व माहेश्वरी ने बताया कि लाइफ सेविंग मेडिसिन को जीएसटी स्लेब को उच्च श्रेणी में रखा गया है। अतः इसको कम किया जाना चाहिए।
साथ ही छोटे व्यापारियों को अभी तक जीएसटी के नियमों की जानकारी नहीं होने के कारण कई बार गलतियां हो जाती है। उस वजह से उन पर भारी मात्रा मे पेनल्टी लगाई जाती है। अतः छोटे व्यापारियो को जानकारी एवं नियमों में होने वाले संशोधन की जानकारी के लिए जीएसटी विभाग द्वारा समय-समय पर कार्यशालाओं के माध्यम से जानकारी दी जावे।
उन्होंने कहा कि जीएसटी में तभी बढ़ोतरी होगी, जब राज्य में ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र में व्यापार उद्योग का विकास होगा। उन्होंने कहा कि केंपस प्लेसमेंट भी हो जिससे रोजगार भी बढ़ सके। उन्होंने कहा कि छोटे व्यापारियों को 40 लाख की छूट दी हुई है, उसे दो भागों में बांट रखा है। 20 लाख सर्विस सेक्टर और 20 लाख माल बेचने पर। अतः इसको एक ही भाग माना जाए। चाहे वह माल बेचे या सर्विस दे उसे 40 लाख की छूट ही दी जानी चाहिये।
एसोसियशन के सस्थांपक अध्यक्ष गोविंद राम मित्तल एवं अध्यक्ष अमित सिंघल ने बताया कि टैक्स का मिशन अगर किसी बेचान करने वाले द्वारा किया जाता है, तो खरीदने वाले पर उसकी जिम्मेदारी निर्धारित कर दी जाती है, जो न्याय संगत नहीं है। विभाग बेचान करने वालों से ही वसूले। क्योंकि खरीददार तो इसका टैक्स चुकाकर माल खरीदता है।
जीएसटी द्वारा पेमेंट लेट होने पर 18% से ब्याज लिया जाता है जो अत्यधिक है। अंत इसे कम से कम 10% किया जावे। आईटी सेक्टर पर भी विशेष ध्यान दिया जाए। साथ ही हॉस्टलो पर जीएसटी के मामले मे अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं है। अतः हॉस्टलो पर जीएसटी की स्थिति को भी स्पष्ट किया जाए।
कोटा मोटर व्हीकल डीलर्स एसोसिएशन के सचिव अनिल मूंदड़ा ने बताया देश में ऑटोमोबाइल सेक्टर पर जीएसटी की दर 50% है, जो अत्यधिक है इसे कम किया जाए। जिससे टू व्हीलर और ऑटोमोबाइल व्यवसाय को बढ़ावा मिल सके। साथ ही टूरिज्म एवं जिला उद्योग केंद्र मे पर्यटक व्यवसाय में निवेश करने वालों को अलग-अलग रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है जब इनको भी उद्योग मान लिया गया है तो मात्र जिला उद्योग केंद्र में ही रजिस्ट्रेशन करने से काम चल सकता है।
टेक्स् बार एसोसिएशन के एमएल पाटौदी, पारस जैन व यशवन्त लोढ़ा ने बताया कि अभी भी वेट के पुराने मामले चल रहे हैं और विभाग इनकी ऑडिट निकालकर सुप्रीम कोर्ट तक केस दायर कर रहा है। अतः ऐसे मामलों को समझौता समिति के माध्यम से निर्धारित कर इसे शीघ्र खत्म किया जाना चाहिए।
सभी वक्ताओं ने कहा कि राजस्थान राज्य को पूरे देश के विकसित राज्य के रूप में अव्वल बनाना है तो यह तभी संभव होगा जब यहां की भोगोलिक स्थिति के अनुसार राज्य सरकार कई नीतियों में सरलीकरण कर समांतर टैक्स प्रणाली लागू करे। साथ ही विभागों मे सामंजस्य बनाये।