नई दिल्ली। रेट (India GPD) 7.8 प्रतिशत रही। सरकार की तरफ से गुरुवार को यह आंकड़ा जारी किया गया है। इससे पहले मार्च तिमाही में भारत की ग्रोथ रेट 6.1% थी। जबकि पिछले वर्ष में जीडीपी 7.2 प्रतिशत थी। इस हिसाब से देखें तो इकनॉमी के लिए चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही शानदार रही है। जीडीपी के मजबूत आंकड़े में बड़ा योगदान केंद्र औ राज्य सरकारों द्वारा कैपिटल एक्सपेंडिचर है। सरकारों ने जमकर पैसा खर्च किया है।
NSO की तरफ से गुरुवार को जारी आंकड़ों के अनुसार बीते वित्त वर्ष 2022-23 की समान तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 13.1 प्रतिशत रही थी। इसके साथ ही भारत प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेजी से वृद्धि करने वाला देश बना हुआ है। चीन की जीडीपी वृद्धि दर अप्रैल-जून तिमाही में 6.3 प्रतिशत रही।
जुलाई का महीना कोर सेक्टर ग्रोथ के लिए अच्छा नहीं रहा है। जुलाई में इसमें गिरावट देखने को मिली है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार जुलाई के महीने में कोर सेक्टर ग्रोथ रेट 8 प्रतिशत रही। एक साल पहले इसी महीने में कोर सेक्टर की ग्रोथ 4.8 प्रतिशत थी। बता दें, चालू वित्त वर्ष के जून महीने में आठ बुनियादी उद्योगों की ग्रोथ रेट 8.3 प्रतिशत थी।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान भारत की ग्रोथ रेट 6.5 प्रतिशत रहेगी। वहीं, आरबीआई ने अपनी रिपोर्ट में पहली तिमाही के दौरान इंडिया की जीडीपी 8 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था। वहीं, IMF का अनुमान है कि इस साल इंडिया की इकोनॉमी की ग्रोथ रेट 6.1 प्रतिशत रहेगी।
राजकोषीय घाटा
चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों दौरान भारत का राजकोषीय घाटा 6.06 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया। सरकार की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार मौजूदा वित्त वर्ष के राजकोषीय घाटे का यह 33.9 प्रतिशत है। बता दें, गुरुवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 16 पैसे की गिरावट के साथ 82.79 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ। अमेरिकी मुद्रा के मजबूत होने और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों का असर घेरलू करेंसी पर पड़ा।