Bhgwat Katha: परमात्मा से नाता जोड़कर ही भवसागर से पार पाना संभव

0
99

कोटा। गीता भवन में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन सोमवार को श्रीकृष्ण की बाल लीला और गोवर्धन पूजन की कथा का वर्णन किया गया। कथाव्यास हर्षभट्ट महाराज ने कहा कि यह संसार दुख का सागर है। यहां न कोई अमीर सुखी है और न ही कोई गरीब सुखी है। जिसने परमात्मा को मन में बसा लिया, उसे परम सुख की प्राप्ति होती है।

इस संसार में कोई किसी का संबंधी नहीं है। परमात्मा से नाता जोड़कर ही इस भवसागर से पार पाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हरिनाम का सुमरिन करने के लिए कल का इंतजार नहीं करना चाहिए।

गोवर्धन पूजा के प्रसंग के दौरान हर्ष भट्ट महाराज ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पूजन कराकर इन्द्र के घमण्ड को चूर किया था। गिरिराज पूजन करने के लिए प्रेरित किया और इन्द्र के प्रकोप से बचाने के लिए अपनी ऊंगली पर गिरिराज को धारण कर समस्त ब्रजवासियों को बचाया।

संगीतमय कथा वाचन के दौरान पाण्डाल में उपस्थित पूर्व विधायक प्रह्लाद गुंजल, डॉ. आरके राजवंशी, हुकम मंगल, हनुमान गुप्ता, अखिल भारतीय अग्रवाल संगठन राजस्थान के प्रदेश महामंत्री सुनील जैन, संगठन के युवा प्रदेश अध्यक्ष सुरेंद्र अग्रवाल, जिला अध्यक्ष जगदीश अग्रवाल चूनेवाले, अखिल भारतीय अग्रवाल संगठन जिला बूंदी के अध्यक्ष हरीश गुप्ता, जगदीश अग्रवाल प्रॉपर्टी, लेखा संवर्ग के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश जैन, संजय गोयल, दिलीप अजवानी, बालकिशन गर्ग, राजेंद्र गुप्ता, सुदामा पुरी, मदनमोहन शर्मा, अखिल भारतीय अग्रवाल संगठन जिला कोटा की अध्यक्ष गायत्री मित्तल, कांटा अग्रवाल, अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन की जिला अध्यक्ष संतोष गुप्ता, राष्ट्रीय अध्यक्ष रुचि अग्रवाल ने आरती की।

छप्पन भोग सजाया
मुख्य यजमान मित्तल परिवार सहित पाण्डाल में उपस्थित श्रद्धालुओं द्वारा बाल स्वरूप श्रीकृष्ण की पूजा अर्चन कर छप्पन प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया गया। इस दौरान उपस्थित श्रोताओं ने भक्तिमय संगीत पर झूमकर नृत्य किया। कथा के अंत में महाआरती के पश्चात प्रसाद वितरण किया गया। मुख्य यजमान राजेश मित्तल ने बताया कि प्रतिदिन 2 से 5 बजे तक कथा आयोजित की जा रही है। श्रीमद भागवत कथा के छठे दिन मंगलवार को श्रीकृष्ण एवं रूक्मणी विवाह प्रसंग की जीवंत झांकी के साथ कथा का वाचन किया जाएगा।