इस साल 12 लाख टन से अधिक तुअर दाल का आयात होगा

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नई दिल्ली। कम उत्पादन के बीच अरहर दाल की कीमतों में तेज वृद्धि का सामना करते हुए भारत चालू वित्त वर्ष में पिछले वर्ष से 35 प्रतिशत या 12 लाख टन अधिक दाल का इस साल आयात करेगा। घरेलू उपलब्धता को बढ़ाने और मूल्य वृद्धि रोकने के लिए ऐसा किया जाएगा।

उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार ने कहा, ‘अरहर दाल हमें परेशानी दे रही है। पिछले साल के स्तर की तुलना में अरहर की औसत खुदरा कीमत 25 प्रतिशत बढ़कर 128.66 रुपये प्रति किलो है। लेकिन आयात शुरू होने के बाद यह कम होने लगेगी।’

अरहर में असली समस्या, कम घरेलू उत्पादन का होना है। देश का अरहर उत्पादन फसल वर्ष 2022-23 (जुलाई-जून) में इससे पिछले साल के 39 लाख टन के मुकाबले घटकर 30 लाख टन रह गया।

कुमार ने कहा, ‘हम भारत में लगभग 44-45 लाख टन की खपत करते हैं। हर साल हमें आयात करना पड़ता है। इस साल, जाहिर है, हमें अधिक आयात करना होगा। हम चालू वित्तवर्ष में 12 लाख टन का आयात करेंगे।’

अब तक देश में छह लाख टन तुअर का आयात हो चुका है। यह आयात म्यांमार और पूर्वी अफ्रीकी देशों से किया जाता है। उन्होंने कहा, पूर्वी अफ्रीकी देशों में फसल अगस्त में आनी शुरू हो जाएगी, इसलिए घरेलू कीमतें कम हो जाएंगी। वित्तवर्ष 2022-23 के दौरान देश ने 8.9 लाख टन का आयात किया।

सचिव ने कहा कि तुअर की कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने कई उपाय किये हैं। दो जून को व्यापारियों, मिल मालिकों और आयातकों पर लगाई गई स्टॉक सीमा से तुअर की कीमतों को नीचे लाने में मदद मिली है। उन्होंने कहा, ‘जिस दिन से स्टॉक सीमा लागू की गई थी, उसी दिन से कीमतों में गिरावट का रुख है।’

सिंह ने कहा, सरकार ने बाजार में बफर स्टॉक से 50,000 टन उतारने का भी फैसला किया है और इससे दरों पर दबाव भी कम होगा।

सचिव ने कहा कि अरहर के अलावा, उड़द की अखिल भारतीय औसत खुदरा कीमत में पिछले वर्ष की तुलना में 28 जून को लगभग 7.22 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिसकी कीमत 111.77 रुपये प्रति किलोग्राम है। म्यांमार से आपूर्ति बढ़ने के साथ सुधार होना शुरू हो जाएगा।

उन्होंने कहा, ‘म्यांमार उड़द की जमाखोरी कर रहा था और अब वहां बारिश के कारण इसे ज्यादा समय तक जमा नहीं रखा जा सकता। उन्हें इसे भारत को बेचना होगा क्योंकि कोई अन्य देश इस दाल का उपभोग नहीं करता है। हमारी फसल भी आ जाएगी और कीमतें कम हो जाएंगी।’

मूंग की कीमतें भी सालाना आधार पर 7.07 प्रतिशत बढ़कर 28 जून को 109.23 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई हैं। हालांकि, मध्य प्रदेश में बंपर उत्पादन की उम्मीद के कारण कीमतों में और गिरावट आएगी।

सचिव ने कहा कि मसूर दाल के मामले में 28 जून को कीमतें सालाना आधार पर पांच प्रतिशत घटकर 91.78 रुपये प्रति किलोग्राम पर रहीं।

सिंह ने कहा, ‘ऐसा इसलिए है, क्योंकि तुअर के विपरीत, हमारा घरेलू उत्पादन बढ़कर 16 लाख टन हो गया है, लेकिन घरेलू खपत लगभग 22 लाख टन से कम है। हमें अभी भी लगभग छह लाख टन आयात करने की जरूरत है।’

भारत कनाडा और ऑस्ट्रेलिया से मसूर दाल का आयात करता है, जहां फसल पिछले वर्ष की तुलना में अधिक होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा, इसलिए, मसूर की आपूर्ति उपलब्ध है और घरेलू कीमतें और नीचे आएंगी। देश ने वित्तवर्ष 2022-23 में 11 लाख टन मसूर दाल का आयात किया।

चने के मामले में, सचिव ने कहा कि कुल दालों में से, भारत में लगभग 46 प्रतिशत चने की खपत है, जबकि 10 प्रतिशत अरहर, उड़द, मसूर दाल और अन्य दालों की है। चने की कीमतें पूरे साल स्थिर रहीं।