मांग कमजोर पड़ने से सोयाबीन की कीमतें 300 रुपये से ज्यादा गिरी

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इंदौर। सोयाबीन की कीमतें महीने भर में 300 रुपये से ज्यादा गिर चुकी हैं। इसकी वजह मांग कमजोर पड़ना बताया जा रहा है। कारोबारियों के मुताबिक आगे भी सोयाबीन की कीमतों में सुस्ती जारी रह सकता है। हालांकि मानसून में और देरी होने पर इसकी बोआई प्रभावित होने पर भाव सुधर भी सकते हैं।

सोयाबीन की बेंचमार्क मंडी इंदौर के सोयाबीन कारोबारी हेमंत जैन ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि खाद्य तेल इतने सस्ते हो गए हैं कि सोयाबीन की पेराई में पड़ना नहीं पड़ रहा है। सोया खली की मांग भी सुस्त है। लिहाजा मांग कमजोर पडने से सोयाबीन के भाव गिर रहे हैं। महीने भर में भाव 300 रुपये घटकर 4,950 रुपये प्रति क्विंटल रह गए हैं।

कमोडिटी विशेषज्ञ इंद्रजीत पॉल ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी सोयाबीन के दाम गिरे हैं और घरेलू बाजार में खाद्य तेल लगातार सस्ते हो रहे हैं। ऐसे में इसका असर सोयाबीन की कीमतों में दिख रहा है।

बीते एक माह के दौरान सोयाबीन के भाव 7 फीसदी टूट चुके हैं। सोयाबीन की आवक अधिक होने के कारण भी कीमतों पर दबाव पड रहा है। वर्ष 2022-23 में 8 जून तक 50.75 लाख टन सोयाबीन की आवक हो चुकी है। जो पिछली समान अवधि की आवक 40.96 लाख टन से 24 फीसदी ज्यादा है।

जैन ने कहा कि फिलहाल मांग सुधरने की संभावना कम लग रही है। ऐसे में आगे सोयाबीन कीमतों में नरमी जारी रह सकती है। हालांकि भाव काफी गिर चुके हैं। ऐसे में अब और बडी गिरावट के आसार नहीं है।

पॉल ने कहा कि सोयाबीन के भाव आगे मानसून पर काफी हद तक निर्भर करेंगे। मौजूदा हालात में भाव 100 रुपये और गिर सकते हैं। लेकिन महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में मानसून में देरी होने पर सोयाबीन की बोआई पर बुरा असर पडेगा। ऐसे में सोयाबीन के भाव सुधर भी सकते हैं।