- राजस्थान का टैक्स सिस्टम था विवाद की वजह
- राज्य सरकार ने 1205 करोड़ का मुआवजा मांगा
- वित्त मंत्रालय ने बोला 750 करोड़ ले लो, प्रदेश के वित्त विभाग के अफसर अड़े
- वित्त मंत्री अरुण जेटली की दखल के बाद निपटा मामला
जयपुर। जीएसटी में मुआवजे की पहली किश्त को लेकर ही राज्य सरकार वित्त मंत्रालय के बीच तनातनी हो गई। जीएसटी लागू होने के बाद प्रदेश में जुलाई-अगस्त के महीने में टैक्स कलेक्शन में आई कमी की भरपाई के लिए जीएसटी कंपनसेशन लॉ के तहत केंद्र से 1205 करोड़ रुपए की मांग की।
वित्त मंत्रालय ने इस पर आपत्ति जताते हुआ कहा कि राज्य सरकार ने टैक्स कलेक्शन के जो आंकड़े पेश किए हैं उनमें कुछ गड़बड़ है क्योंकि जून के मुकाबले जुलाई के टैक्स कलेक्शन में करीब 400 करोड़ रुपए की गिरावट दिखाई गई थी।
वित्त मंत्रालय ने कहा कि जब तक मामला सुलझ नहीं जाता तब तक के लिए 750 करोड़ रुपए अंतरिम मुआवजे के रूप में जारी कर देगा। लेकिन प्रदेश के वित्त विभाग के अफसरों ने इस राशि को लेने से मना कर दिया।
वित्त विभाग ने कहा कि या तो वह पूरा मुआवजा लेंगे या फिर कुछ भी नहीं। इसके बाद मामला वित्त सचिव से होता हुआ वित्त मंत्री अरुण जेटली तक जा पहुंचा। उनके दखल के बाद प्रदेश को 1205 करोड़ रुपए की मुआवजा राशि जारी की जा सकी।
सितंबर-अक्टूबर के लिए 760 करोड़ का मुआवजा तय : राज्य सरकार ने सितंबर-अक्टूबर के लिए जीएसटी कंपनसेशन के रूप में 760 करोड़ रुपए का मुआवजा तय किया है।
टैक्स घटने के बाद भी सरकार को फायदा : जीएसटी में टैक्स कलेक्शन घटने के बाद भी राज्य सरकार को रेवेन्यू कलेक्शन में अच्छा खासा फायदा मिला है। इसकी वजह यह है कि प्रदेश में पिछले दो सालों में टैक्स कलेक्शन की ग्रोथ रेट 10 से 11 प्रतिशत तक रही है, जबकि जीएसटी कंपनसेशन लॉ में यह ग्रोथ रेट 14 प्रतिशत ली गई है।
विवाद की वजह राजस्थान का टैक्स कलेक्शन सिस्टम था। जीएसटी लागू होने से पहले प्रदेश में टैक्स कलेक्शन सिस्टम साप्ताहिक आधार पर होता था। जबकि अन्य सभी राज्यों में महीने के आधार पर टैक्स कलेक्शन किया जाता था। इसके चलते प्रदेश में जुलाई के टैक्स का काफी हिस्सा जून में ही कलेक्ट हो गया। इसलिए जुलाई का टैक्स कलेक्शन कम हुआ।
ऐसे तय हुआ मुआवजा : जुलाई में राज्य सरकार को 793 करोड़ रुपए एसजीएसटी, 408 करोड़ रुपए आईजीएसटी के मिले। वहीं अगस्त में 569 करोड़ रुपए एसजीएसटी 760 करोड़ रुपए आईजीएसटी के मिले। कंपनसेशन लॉ के तहत हर दो महीने में टैक्स कलेक्शन के आंकड़ों से मुआवजा तय होता है।
इसके लिए बेस ईयर 2015-16 को लिया गया है। इस बेस ईयर में हर साल 14प्रतिशत ग्रोथ रेट के हिसाब से टैक्स टारगेट तय हुआ। जुलाई-अगस्त 2017 के लिए टैक्स टारगेट 3817 करोड़ रुपए रखा गया।
लेकिन 230 करोड़ रुपए का पुराना वैट मिलाकर राज्य सरकार का टैक्स कलेक्शन लगभग 2600 करोड़ रुपए रहा। सरकार टैक्स टारगेट से ~1200 करोड़ पीछे रही। लॉ के मुताबिक टैक्स टारगेट से कम रहने पर वित्त मंत्रालय इसकी भरपाई करता है।