कोटा। चैत्रीय नवरात्रि के उपलक्ष्य में गीता सत्संग आश्रम समिति के गीता भवन में मंगलवार को संगीतमय श्रीराम कथा में पंडित श्याम महाराज ने कहा कि बच्चों को धर्मिक संस्कार सिखाने का संदेश रामचरित मानस में मिलता है। नई पीढ़ी को धर्म स्थलों की जानकारी दें, उन्हें समाज व देश से जोड़ें।
उन्होंने लंका में रावण और हुनमान जी तथा अंगद के प्रसंग सुनाए और कहा कि रावण बड़ा कूटनीतिक भी था लेकिन सद्गुणों, ज्ञान और संस्कारों की पूंजी उसके पास नहीं थी। जबकि वह सोने की लंका का स्वामी था। उन्होंने संगीतमय भजन “ जहां विभीषण से भक्ति हो, शबरी सी प्रतीक्षा हो, नगरी हो अयोध्या सी सरयू का किनारा हो“ आदि पर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया।
गीता सत्संग आश्रम समिति के अध्यक्ष राजेंद्र खण्डेलवाल एवं कथा संयोजक संजय गुप्ता ने बताया कि कथा में आरती में मंत्री रामेश्वर विजय, उपाध्यक्ष कुंती मूंदड़ा प्रबंधक गिरीश ओझा आदि गणमान्य लोग शामिल हुए। मंत्री रामेश्वर प्रसाद विजय के अनुसार श्री राम कथा का भव्य समापन 30 मार्च को होगा।