कोटा। चैत्रीय नवरात्रि के उपलक्ष्य में गीता सत्संग आश्रम समिति के गीता भवन में सोमवार को संगीतमय श्रीराम कथा में पंडित श्याम महाराज ने रामचरित मानस के प्रसंगों को उदघृत करते हुए कहा कि ऋषि परम्परा का निर्वाह करना संस्कारों पर निर्भर है। रामचरित मानस हमें संस्कार प्रदान करती है।
उन्होंने कहा कि फटी पैण्ट पहन कर युवा कौनसी सभ्यता का परिचय दे रहे हैं, इस पर भी विचार करें। उन्होंने संस्कृत को भाषा की महारानी तथा हिंदी को राजरानी और अंग्रेजी को नौकरानी बताया। जो भी कर्म हम कर रहे हैं सब श्रीराम का ही कर्म कर रहे हैं। यह सोच कर कार्य किया जाए तो कल्याण निश्चित है।
उन्होंने कहा कि रसोई को किचन कहना बंद करें वहां खाना पकाना भी बंद करें। रसोई घर में खाना पकता नहीं प्रसाद बनता है। खाना और पकाना सनातन संस्कृति नहीं है। गीता सत्संग आश्रम समिति के अध्यक्ष राजेंद्र खण्डेलवाल एवं कथा संयोजक संजय गुप्ता ने बताया कि कथा में आरती में मंत्री रामेश्वर विजय, उपाध्यक्ष कुंती मूंदड़ा, महेंद्र मित्तल आदि गणमान्य लोग शामिल हुए। मंत्री रामेश्वर प्रसाद विजय के अनुसार श्री राम कथा का भव्य समापन 30 मार्च को होगा। कथा प्रतिदिन 2 से 5 बजे तक हो रही है।