नई दिल्ली। बजट सत्र के दूसरे चरण की आज से शुरुआत हो रही है। नागालैंड, त्रिपुरा और मेघालय जैसे पूर्वोत्तर के राज्यों में चुनाव के बाद यह सत्र शुरू हो रहा है। इस सत्र में केंद्र सरकार का नेतृत्व कर रही भाजपा के हौसले बढ़े होंगे, जो त्रिपुरा में एक बार फिर सरकार बनाने में सफल रही है।
इसके अलावा नागालैंड और मेघालय में सत्ताधारी गठबंधन का हिस्सा बनी है। हालांकि उसके सामने भी 35 विधेयकों को इस सत्र में पारित कराने की चुनौती होगी। फिलहाल राज्यसभा में 26 विधेयक लंबित हैं, जबकि लोकसभा में भी 9 बिल मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं।
राज्यसभा में जो विधेयक लंबित हैं, उनमें से तीन को लोकसभा से पहले ही मंजूरी मिल चुकी है। इन विधेयकों में इंटर-स्टेट रिवर वॉटर डिस्प्यूट्स बिल, 2019, अनुसूचित जनजाति संशोधन विधेयक जैसे बिल भी लंबित हैं। इसके अलावा लोकसभा में जो 9 विधेयक लंबित हैं, उनमें से 2 को स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजना पड़ा है।
ये विधेयक हैं बाल विवाह रोकथाम अधिनियम और विद्युत संशोधन अधिनियम। फिलहाल जो विधेयक पारित होने की राह देख रहे हैं, उनमें डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल, प्रोहिबिशन ऑफ चाइल्ड मैरेज बिल, दिल्ली रेंट बिल, डीएनए टेक्नोलॉजी रेग्युलेशन बिल शामिल हैं।
वक्फ प्रॉपर्टीज विधेयक भी पारित नहीं हो सका है। यह विधेयक 2014 में राज्यसभा में पेश किया गया था। तब अल्पसंख्यक मंत्री के. रहमान खान ने इसे पेश किया था। विधेयक को स्टैंडिंग कमेटी के समक्ष भेजा गया था, जिन पर अब तक फैसला नहीं हो सका है।
जम्मू-कश्मीर आरक्षण विधेयक भी सरकार ने पेश किया है, जो अभी पारित नहीं हो सका है। इस विधेयक में जम्मू-कश्मीर में आरक्षण के नियमों को बदलने का प्रावधान है। गौरतलब है कि बजट सत्र के दूसरे चरण की आज से शुरुआत हो रही है। पहले राउंड में बजट पेश किया गया था।