सांगोद में परंपरागत न्हाण लोकोत्सव कल से, घुघरी की रस्म आज

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सांगोद में न्हाण पर निकलती बादशाह की सवारी (फाइल फोटो)

आशीष मेहता
कोटा।
जिले के सांगोद में परंपरागत न्हाण लोकोत्सव कल से प्रारंभ होगा। धुलंडी के एक दिन बाद सांगोद में मनाया जाने वाला न्हाण लोकोत्सव दो अखाड़ों के लोग पांच दिनों तक बिना किसी रंग, गुलाल के खेलते हैं। ये परम्परा यहां पांच सौ वर्षों से निभाई जा रही है। इस बार 8 मार्च को घुघरी की रस्म होगी।

वहीं 9 मार्च से न्हाण निकलना शुरू होगा। न्हाण की सवारी में कई नायाब स्वांग हंसी, ठिठोली व मसखरी करते हुए न्हाण मार्ग पर निकलेगें। 10 मार्च को बादशाह की सवारी निकलेगी।

ये लोकोत्सव न्हाण पूरी तरह से स्वयं कलाकारों की जेब खर्ची पर टिका है, इसमें मेकअप से लेकर पोशाक व स्वांग के अन्य पार्ट करने के लिए चाहने वाली सामग्री का बंदोबस्त न्हाण की कोई कमेटी नहीं करती है। ये खर्चा स्वयं न्हाण के किरदार निभाने वाले लोग अपनी आस्था व उल्लास के पैमाने के अनुसार करते हैं।

इस बार 8 मार्च को घुघरी का जलसा निकलेगा। अगले दिन बारह भाले की सवारी निकाली जाती है। बारह भालों की सवारी को बारह भाइलों (दोस्तों) की सवारी भी कहा जाता है। यह सवारी तीसरे प्रहर को प्रारंभ होती है।

इस दौरान कई कलाकार कईं जलवे बिखरते हुए स्वांग रचकर दिखाते है। सवारी में कईं स्वांगों के अलावा स्थानीय घटनाओं, अंतर्राष्ट्रीय घटनाओं से संबंधित झांकिया भी निकाली जाती हैं।हास्य व्यंग्य के माध्यम से समाज की विसंगतियों कोस्वांग के माध्यम से समाज की कुरूतियों को भी आधार बनाकर स्वांग इस न्हाण के दौरान लाएं जाते हैं। ये अनूठी परम्परा इस न्हाण लोकोत्सव के बीच झलकती है।