पेपर लीक के बहाने ‘परायों का भी तो अपनों’ का भी अशोक गहलोत पर निशाना

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-कृष्ण बलदेव हाडा-
राजस्थान में हाल ही में प्रतियोगिता परीक्षा के पेपर लीक होने के मामले को लेकर प्रदेश की मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व की सरकार पर निशाना साधा जा रहा है। लेकिन सरकार पर निशाना साधने के मामले में प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी के साथ-साथ पार्टी में ही अशोक गहलोत के ‘प्रतिपक्षी दल’ के नेता सचिन पायलट सहित उनके समर्थक भी खासे सक्रिय नजर आते हैं।

भारतीय जनता पार्टी ने एक और जहां पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे के जन्मदिन के मौके पर चार मार्च को बड़े पैमाने पर सालासर बालाजी में होने वाले उनके जन्मोत्सव से पार्टी के नेताओं-कार्यकर्ताओं खासतौर से अपनी पार्टी से जुड़े युवाओं और निर्वाचित विधायकों को दूर रखने की कोशिश के तहत जहां जयपुर में मुख्यमंत्री के आवास के घेराव का कार्यक्रम रखा था, तो दूसरी ओर पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट और उनके समर्थक लगातार विभिन्न सार्वजनिक मौकों पर पेपर लीक के मसले को मुद्दा बनाते हुए राज्य सरकार पर युवाओं का विश्वास हनन होने जैसे आरोप लगा रहे थे।

इसी क्रम में श्री पायलट ने कल शाम जयपुर में युवाओं के एक कार्यक्रम में बिना किसी का नाम लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर कांग्रेस को राजस्थान में अपनी सरकार रिपीट करनी है, तो उसे उसकी सरकार को पेपर लीक जैसे मामलों को रोकने के लिए कड़ी कार्यवाही करनी होगी। क्योंकि यह कई लाख युवाओं के भविष्य से जुड़ा मसला है।

मौजूदा बेकारी के दौर में पहले से ही बेरोजगारी की गंभीर समस्या से जूझ रहे परीक्षार्थी युवाओं को पेपर लीक के कारण प्रतियोगिता परीक्षा में भाग लेने से वंचित होना पड़ता है तो उनमें स्वाभाविक रूप से असंतोष की भावना उत्पन्न होती है जो पार्टी हित में नहीं है।

श्री पायलट ने सोमवार शाम मानसरोवर में एक होली मिलन समारोह में कहा है कि अगर नौजवानों का भरोसा खो दिया तो बड़ी चुनौती आ सकती है। लेकिन सत्ता और संगठन ने मिलकर काम किया तो सरकार रिपीट हो सकती है।

श्री पायलट ने पेपरलीक को बड़ी चिंता का विषय बताते हुए कहा कि नौजवानों के भविष्य से कोई खिलवाड़ नहीं कर सकता। सरकारें आती है-जाती हैं लेकिन शिक्षित युवाओं का सिस्टम पर विश्वास रहना जरूरी है। अगर युवाओं का सिस्टम पर विश्वास नहीं रहा तो भविष्य के लिए बहुत बड़ा प्रश्न चिह्न लग जाएगा।

श्री पायलट ने तो यहां तक कह दिया कि अब जबकि हम विधानसभा के चुनावी साल के दौर से गुजर रहे हैं तो ऐसे में पेपर लीक जैसे मसले को लेकर युवाओं का भरोसा तोड़ना ठीक नहीं है। पार्टी को इस साल बहुत चुनौतियों का सामना करना है। खासकर के युवाओं में अपना विश्वास बहाल रखे रखना बहुत जरूरी है।

रायपुर में कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में से निराशा हाथ लगने के बाद श्री पायलट और उनके समर्थक कुछ विधायक यहां तक कि अशोक गहलोत सरकार में शामिल इक्के-दुक्के मंत्री तक पेपरलीक के मसले को लेकर राज्य सरकार को एक बड़ा मसला बताते हुए घेरने में कोई कसर नहीं छोड़े हुए हैं। अनेक मौकों पर चुनावों में बेरोजगार युवाओं को साधने के बहाने से श्री पायलट समर्थकों ने अप्रत्यक्ष रूप से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर गाहे-बगाहे निशाना साधा है।

उल्लेखनीय है कि हाल ही में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश नेतृत्व में 4 मार्च को बिना किसी पूर्व तैयारियों के जल्दबाजी में पेपरलीक के बहाने राज्य सरकार के प्रति विरोध जताने के लिए जयपुर में पहले विधानसभा के घेराव, लेकिन विधानसभा के स्थगित हो जाने के बाद सिविल लाइंस स्थित मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आवास की घेराबंदी का कार्यक्रम बनाया था। हालांकि बाद में पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को इस बात को लेकर भीतरी विरोध का सामना भी करना पड़ा था।

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया ने ‘जान बूझकर’ 4 मार्च को ही पेपरलीक के मामले को लेकर राजस्थान विधानसभा का घेराव करने का दिन चुना, क्योंकि उस दिन पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे के समर्थक भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता चूरू जिले के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल सालासर बालाजी में उनके जन्मोत्सव के मौके पर पहले से ही एक बड़ा जलसा आयोजित करने का कार्यक्रम बना चुके थे, जिसमें बड़ी संख्या में पार्टी के नेताओं सहित निर्वाचित विधायकों के भी शामिल होने की उम्मीद जताई जा रही थी।

इन विधायकों को श्रीमती राजे के जन्मोत्सव कार्यक्रम से दूर रखने के लिए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने बकायदा प्रदेश विधायक दल की एक बैठक आयोजित करके उसमें यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि पार्टी के सभी विधायकों को घेराबंदी के कार्यक्रम में शामिल होना है। हालांकि विधायकों की उपस्थिति को लिखित में ‘मेंड़ेटरी’ तो नहीं किया गया था लेकिन मुख्य रूप से श्रीमती राजे विरोधी नेता विधायकों पर यह दबाव बनाए हुए थे कि विधा़यक हर हाल में पार्टी के आधिकारिक कार्यक्रम में हिस्सा लें।

श्रीमती राजे के विरोधी माने जाने वाले डॉ किरोड़ी लाल मीणा ने तो यहां तक कह दिया था कि जन्मदिन तो एक वैयक्तिक कार्यक्रम है। इसे तो मनाया जा सकता है, लेकिन पार्टी की नेता होने के नाते पार्टी के कार्यक्रम में श्रीमती राजे को भी भाग लेना चाहिए। यानी उनकी सलाह थी कि श्रीमती राजे उनके अपने ही जन्मदिन के मौके पर 4 मार्च को सालासर बालाजी में उनके समर्थक विधायकों की ओर से आयोजित जलसे की जगह जयपुर में पार्टी के घेराव कार्यक्रम में भाग ले।