नई दिल्ली। एग्री कमोडिटी बाजार रबी की नई फसल की आवक का इंतजार कर रहा है, जो अगले कुछ सप्ताह में पूरी तरह पहुंचने लगेगी। कारोबारियों ने कहा कि 3 प्रमुख अनाजों में चना और सरसों की कीमत को लेकर दबाव बना रह सकता है और यह एमएसपी के निकट रह सकता है।
इस साल चना, सरसों की फसल अच्छी है। वहीं तेज मांग के कारण गेहूं की कीमत न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से ऊपर हो सकती है। रबी की फसलों में मोटे अनाज, दलहन और तिलहन की कीमत अनुमान से अधिक है। ऐसे में सरकार को महंगाई काबू में रखना और जटिल और चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
सरसों: इस साल रबी सीजन में सबसे बड़ी तिलहन फसल सरसों है। किसानों ने करीब 98 लाख हेक्टेयर में सरसों की बुआई की है। यह सामान्य रकबे से 55 प्रतिशत ज्यादा है और पिछले साल की बोआई की तुलना में 7.46 प्रतिशत ज्यादा है। व्यापारियों को उम्मीद है कि इस साल सरसों का बंपर उत्पादन होगा, जिसकी वजह से आने वाले महीने में इसकी कीमत पर असर पड़ सकता है।
ओरिगो कमोडिटीज में एजीएम (कमोडिटी रिसर्च) तरुण सत्संगी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘अगर सब कुछ ठीक चलता है तो हम उम्मीद करते हैं कि सरसों का उत्पादन करीब 120 लाख टन होगा। यह पिछले साल के 110 लाख टन उत्पादन की तुलना में बहुत ज्यादा है। इसके अलावा पिछले साल का स्टॉक भी करीब 22 से 25 लाख टन है।’
उन्होंने कहा कि सरसों की नई फसल कुछ बाजारों में पहुंचने लगी है, माह के अंत तक आवक और बढ़ेगी। 2023-24 के लिए सरसों का एमएसपी 5450 रुपये प्रति क्विंटल है।
आईग्रेन इंडिया में कमोडिटी एनॉलिस्ट राहुल चौहान ने कहा कि सरसों के बीज की कीमत इस साल एमएसपी के आसपास रहेगी और कारोबारी इसमें पिछले साल जितनी तेजी की उम्मीद नहीं कर रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि इस साल सरसों का उत्पादन 110 से 115 लाख टन होगा।
चना: इस साल चने की बोआई करीब 112 लाख हेक्टेयर रकबे में हुई है। यह पिछले साल की तुलना में थोड़ा कम है। आईग्रेन के चौहान का कहना है कि अगर नई फसल आने पर कीमत 5,335 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी से नीचे बनी रहती है तो सरकार आक्रामक रूप से हस्तक्षेप कर सकती है।
चौहान ने कहा, ‘नई फसल की आवक के पहले कुछ समय के लिए कीमत में तेजी आ सकती है, जिसी आवक अगले कुछ दिन में शुरू होने वाली है। लेकिन यह तेजी बहुत सीमित रहेगी।’
ओरिगो के सत्संगी ने कहा कि इस साल चना के लिए मौसम अनुकूल है और उत्पादन 13 से 15 लाख टन हो सकता है, जो पिछले साल के उत्पादन से करीब 8 प्रतिशत कम होगा।लेकिन उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि फसल के उत्पादन का कीमतों पर बहुत असर नहीं पड़ेगा क्योंकि सरकार और कारोबारियों के पास पर्याप्त स्टॉक मौजूद है।
सत्संगी ने कहा कि चने की नई फसल कर्नाटक में आनी शुरू हो गई है और अगले 15-20 दिन में आपूर्ति बढ़ेगी। ऐसे में कीमत पर दबाव हो सकता है और यह 4,200 से 4,400 रुपये क्विंटल पर पहुंच सकती है।
गेहूं: रबी की फसलों में गेहूं सबसे अहम है। इसकी कीमतों पर नजदीकी से नजर रहती है क्योंकि इसका सीधा असर महंगाई दर पड़ता है। इसके लिए केंद्र की अपनी खरीद योजना है और योजनाओं के तहत गरीबों को गेहूं दिया जाता है।
ओरिगो के सत्संगी को उम्मीद है कि अगर अगले कुछ सप्ताह तक मौसम अनुकूल बना रहता है और असामान्य रूप से तापमान नहीं बढ़ता है तो गेहूं का उत्पादन 1,100 से 1,112 लाख टन हो सकता है।
उनके अनुमान के मुताबिक पिछले साल वास्तविक उत्पादन 970 लाख टन के आसपास था, जबकि आधिकारिक रूप से 1,060 लाख टन गेहूं के उत्पादन का अनुमान लगाया गया था। सत्संगी का कहना है कि गेहूं के आवक से कीमत कम होगी और हम उम्मीद करते हैं कि कीमत 2,400 रुपये क्विंटल पर आएगी।
आईग्रेन के चौहान का कहना है कि इस साल गेहूं का उत्पादन चाहे जितना हो, किसान जो भी गेहूं बाजार में लाएंगे, वह तत्काल बिक जाएगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को संभवतः अपना गोदाम भरने के लिए संघर्ष करना पड़ेगा, अगर वह 2,125 रुपये प्रति क्विंटर पर बोनस देने की घोषणा नहीं करती है।