भाजपा की वसुंधरा राजे के विकल्प की तलाश श्रीमती राजे पर ही खत्म?

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-कृष्ण बलदेव हाडा-
राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की वर्तमान में पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे के विकल्प की तलाश श्रीमती राजे से ही शुरू होकर श्रीमती राजे पर ही खत्म होती नजर आ रही है। पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व श्रीमती राजे का कोई अन्य विकल्प तलाश पाएगा, इसकी संभावना लग नहीं रही है।

इसी साल के अंत में होने वाले राजस्थान विधानसभा चुनाव के पहले प्रदेश में संगठन मंत्री बदलने सहित केंद्र सरकार में राजस्थान से प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए चेहरे तलाशने की कोशिश के बीच पिछले दिनों में यह लगातार कवायद की गई है कि वसुंधरा राजे का विकल्प क्या हो सकता है?

इसके अलावा इस बात की भी कोशिश की जा रही है कि विधानसभा चुनाव से पहले, विधानसभा चुनाव के दौरान और विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश में श्रीमती राजे की क्या भूमिका होगी, इसको तय कर लिया जाए।

भारतीय जनता पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व मतलब सीधे-सीधे नरेंद्र दामोदर दास मोदी और अमित शाह राजस्थान में इस साल के अंतिम महीने से पूर्व संभावित चुनाव के मद्देनजर अपना निर्णय करने में लगे हैं।

क्योंकि इस चुनाव से पहले यह “ड्यूट” न केवल प्रदेश में पार्टी की संगठनात्मक शक्ति को मजबूती देने के लिए नये प्रदेश संगठन मंत्री को नियुक्त करना चाहता है बल्कि, साथ ही केंद्रीय मंत्रिमंडल में राजस्थान का प्रतिनिधित्व भी बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं और इसके लिए प्रधानमंत्री की तो सहमति है ही।

हालांकि इनमें सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा यह है कि अगले विधानसभा चुनाव से पहले राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे की राजस्थान की भाजपा की राजनीति में क्या भूमिका होगी, इसको तय किया जाना बाकी है।

इसके लिए भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व मतलब नरेंद्र दामोदरदास मोदी, अमित शाह और उनके साथी नहीं कहे जाने की स्थिति में होते हुये भी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर आसीन जय प्रकाश नड्डा इस प्रयास में लगे हुए हैं।

कोशिश यही है कि उनकी पहले से ही भूमिका सुनिश्चित करके प्रदेश में चुनाव की रणनीति तय की जाए। क्योंकि अब कुछ ही महीनों का समय बचा है, जब राजस्थान में विधानसभा के चुनाव होने हैं।

ऐसी स्थिति में यह पहले से ही निर्धारित किया जाना पार्टी आवश्यक महसूस कर रही है कि श्रीमती राजे की आने वाले विधानसभा चुनाव के पहले और उसके बाद क्या भूमिका हो? पार्टी भी इस वस्तु स्थिति को अच्छी तरह समझती है कि यदि ऐसा नहीं किया गया तो पार्टी को आने वाले विधानसभा चुनाव में नुकसान उठाना पड़ सकता है।