जयपुर/कोटा। राजस्थान एसीबी ने अपना विवादास्पद आदेश वापस ले लिया है। अब ACB की ब्रीफिंग में घूसखोर का नाम और फोटो जारी होगा। सीएम गहलोत ने आदेश वापस लेने के संकेत दिए थे। एडीजी हेमंत प्रियदर्शी ने रिश्वतखोर की पहचान उजागर नहीं करने के आदेश जारी किए थे।
बता दें, एसीबी के कार्यवाहक एडीजी हेमंत प्रियदर्शी ने विवादास्पद आदेश जारी किया था। आदेश पर काफी बवाल मच गया था। बीजेपी ने गहलोत सरकार को निशाने पर ले लिया। बीजेपी ने आरोप लगाया कि गहलोत सरकार भ्रष्ट अफसरों को बचाने की कोशिश कर रही है। सांगोद विधायक भरत सिंह ने भी एसीबी के कार्यवाहक एडीजी हेमंत प्रियदर्शी के विवादास्पद आदेश को लेकर मुख्यमंत्री गहलोत को पत्र लिखकर विरोध जताया था। इस आदेश की चौतरफा निंदा हुई।
मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास ने कहा कि इस तरह का आदेश चार साल के काम को खराब करने के लिए निकाला गया है। इसे बर्दास्त नहीं किया जाएगा। खाचरियावास ने कहा कि इस तरह के आदेश तो सीएम और पीएम की ओर से निकाले जाते हैं। पुलिस अधिकारी की तरफ से नहीं निकाले जाते हैं।
राजस्थान एसीबी के मुखिया हेमंत प्रियदर्शी ने ट्रेप होने वाले घूसखोर का नाम सार्वजनिक नहीं करने के आदेश जारी किए थे।आदेश जारी कर राजस्थान एसीबी मुख्यालय से जारी होने वाली आधिकारिक जानकारी में घूसखोर का नाम, ना ही जारी होंगे फ़ोटो और वीडियो जारी करने के निर्देश दिए। आदेश जारी होने के बाद बीजेपी ने घूसखोरों को बचाने की कोशिश का आरोप लगाया।
नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि राजस्थान पुलिस में एसीबी एडीजी का यह फरमान किसी भी रूप में सही नहीं है। घूसखोर का नाम सार्वजनिक नहीं किया जाएगा तो घूस लेने वाले में डर नहीं होगा। व्यक्ति को गलत रास्ते पर जाने और नाम उजागर होने की आशंका के डर से ही अपराध से बचता है।
सीए गहलोत ने दिए थे संकेत: बता दें बवाल मचने पर सीए गहलोत ने गुरुवार को आदेश वापस लेने के संकेत दिए थे। सीएम गहलोत ने उदयपुर में मीडिया से बात करते हुए कहा कि आदेश का लेटर देंखेंगे। जरूरत पड़ी तो आदेश वापस लिया जाएगा। सीएम ने आज मामले की समीक्षा की और आदेश वापस लेने के निर्देश एसीबी को दिए। बता दें, सीएम गहलोत के पास गृह विभाग भी है।