गौवंश उपचार के लिए एलन ने आनन्द धाम आश्रम महाराष्ट्र को गौ-रथ सौंपा

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कोटा। एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा पितृपुरुष स्व.लक्ष्मीनारायण माहेश्वरी की 40वीं पुण्यतिथि पर कई सेवा कार्य किए गए। ये सेवा कार्य कोटा के साथ-साथ एलन के अन्य सेंटर्स पर भी हुए।

निदेशक नवीन माहेश्वरी ने बताया कि पुण्यतिथि पर पिता की स्मृति में गौसेवार्थ गौ-रथ (एंबुलेंस-चलित हॉस्पिटल) गुरु मां आनन्द धाम आश्रम निर्वाणा नेचुरोपैथी धामणगांव नासिक, महाराष्ट्र को सौंपी गई। आश्रम की सर्वतीर्थ गौधाम गाय बचाओ योजना के तहत यह सेवा कार्य किया गया।

एलन मानधना परिवार की मातुश्री कृष्णादेवी माहेश्वरी की प्रेरणा से चारों भाइयों गोविन्द माहेश्वरी, राजेश माहेश्वरी, नवीन माहेश्वरी व बृजेश माहेश्वरी द्वारा यह गौ-रथ एलन की ओर से मानधना परिवार के कृष्णगोपाल मुच्छाल, बालकृष्ण मुच्छाल व आशा माहेश्वरी ने आश्रम संचालक गुरु मां को सौंपी। इस गौरथ के माध्यम से धामणगांव और आस-पास के क्षेत्रों में गौवंश को उपचार मिल सकेगा।

क्षेत्र में गौसेवा का बेहतर उदाहरण प्रस्तुत किया जा सकेगा। इस अवसर पर गुरुमां ने कहा कि गौसेवा हमारी प्राथमिकता है, जिस गौवंश से हम जीवन में बहुत कुछ लेते हैं। गौसेवा श्रेष्ठ सेवा में से एक है। इससे पूर्व भी कोटा में नगर निगम को एलन मानधना परिवार की ओर से गौसेवार्थ गौ-रथ सौंपा जा चुका है।

ऐसा है गौ-रथ: यह गौ-रथ एक एंबुलेंस है, जिसे बड़े वाहन को मोडिफाइड कर बनवाया गया है, इसकी लागत करीब 26 लाख रुपए आई है, इसमें अत्याधुनिक सुविधाएं हैं। घायल गौवंश के इलाज के लिए यह चल चिकित्सालय के रूप में होगा, इसमें चिकित्सक व सहयोगी स्टाफ भी मौजूद रहेंगे जो कि मोबाइल केयर के रूप में सेवा के लिए तैयार रहेंगे। इसमें हाइड्रोलिक लिफ्टर होगा, घायल गौवंश को गौरथ में ही ड्रिप चढ़ाई जा सकेगी। दवाइयां भी इसी में उपलब्ध रहेंगी। यदि गौवंश की गंभीर हालत है तो निकट के पशु चिकित्सालय तक ले जाया जाएगा। यही नहीं मृत गौवंश को समुचित स्थान पर ससम्मान अंतिम संस्कार करने के लिए भी व्यवस्थाएं इस गौरथ में साथ चलेंगी।

कोटा में की सेवा: इधर, कोटा में भी पुण्यतिथि के अवसर पर सेवा कार्य किए गए। आल स्टूडेंट्स वेलफेयर सोसायटी के तत्वावधान में स्व.एल एन माहेश्वरी की पुण्य स्मृति में यहां गौसेवा के तहत बंधा धर्मपुरा स्थित गौशाला में हरा चारा उपलब्ध करवाया गया। सोसायटी के सदस्यों ने अपने हाथों से गायों को चारा खिलाया। झालावाड़ रोड स्थित कर्णेश्वर महादेव मंदिर व रावतभाटा रोड स्थित वन क्षेत्र में बंदरों को केले खिलाए गए तथा कोटा बैराज पर चम्बल नदी की अप स्ट्रीम में मछलियों के लिए आटा डाला गया।