-कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा। राज्य राजस्थान सरकार के। प्रयास नहीं किए जाने के कारण कोटा का मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व एक बार फिर से चीते बताए जाने के शुभ अवसर से वंचित होने जा रहा है क्योंकि राजनीतिक कारणों से केन्द्र के मध्यप्रदेश में फिर चीते बसाने की तैयारी है।
मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले में स्थित है कूनो अभयारण्य में इस साल के मध्य में अफ्रीकी महाद्वीप के देश नामीबिया से चीतों को लाकर आबाद किये गये थे और इस दुर्लभ अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी स्वयं मौजूद थे। कूनो अभयारण्य में दूसरी महाद्वीप से आए चीतों का एक नए महाद्वीप की के जंगल में सफलतापूर्वक विस्थापन के बाद केंद्र सरकार एक बार फिर से नामीबिया से ही दूसरी खेप में चीते लाकर भारत में बसाने की तैयारियां कर रही है और समझा जाता है कि इस बार भी मध्यप्रदेश के कूनो में ही नामीबिया से लाए जाने वाले चीतों को छोड़े जाने के आसार हैं।
हालांकि यह फैसला राजनीतिक कारणों से भले ही किया जा रहा हो, लेकिन राजस्थान सरकार के इस मसले पर नकारात्मक रवैया अपनाए जाने के कारण केंद्र सरकार को मध्यप्रदेश में चीते बसाने का मौका मिल रहा है। पहली बार कूनो में चीते बसाने का अंतिम निर्णय किए जाने से पहले नामीबिया के चीता विशेषज्ञों ने जब भारत का दौरा किया था, तो जिन अभयारण्य क्षेत्रों को चीते बचाने के लिए उपर्युक्त पाया गया था, उनमें मध्य प्रदेश के कूनो अभयारण्य के अलावा कोटा, झालावाड़ जिले और चित्तौड़गढ़ जिले के रावतभाटा के कुछ हिस्से में फैले मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के 82 वर्ग किलोमीटर के वन क्षेत्र को भी चीता बसानें की दृष्टि से बेहद उपर्युक्त पाया था।
नामीबिया के चीता विशेषज्ञों की इस रिपोर्ट के बावजूद राजस्थान के वन एवं पर्यावरण विभाग ने कोटा के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में चीते लाकर बसाने की दिशा में कोई सार्थक प्रयास नहीं किए। जबकि मध्यप्रदेश का वन्यजीव विभाग के अधिकारियों और प्रदेश की सरकार ने कूनो अभयारण्य में अफ्रीका से चीते लाकर बसाने की दिशा में पूरा जोर लगा दिया था। इसी का नतीजा था कि मध्य प्रदेश सरकार को आशातीत सफलता मिली और कई दशकों पहले भारत की भूमि से विलुप्त हो चुके चीतों को एक बार फिर से मध्य प्रदेश कूनो अभयारण्य में बसाने में सफलता हासिल की।
अब केंद्र सरकार फिर अफ्रीकी देश नामीबिया से ही दूसरे खेप में चीते लाकर उन्हें देश में आबाद करने की तैयारी कर रही है। लेकिन, राजस्थान का वन्य जीव विभाग अभी भी पूरी तरह से इस मामले में निष्क्रिय पड़ा हुआ है। मध्य प्रदेश का वन्य जीव विभाग एक बार फिर सक्रिय है और उसकी सक्रियता के चलते ही इस बात के संकेत मिल रहे हैं दूसरी खेप में लाए जाने वाले चीतों को भी कूनो अभयारण्य में ही बसाया जा सकता है । क्योंकि पूर्व में लाए गए चीते वहां के पारिस्थितिकी माहौल को सफलतापूर्वक ग्रहण चुके हैं।
इस संबंध में कोटा जिले के सांगोद विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक और वाइल्ड़ लाईफ़ बोर्ड के सदस्य भरत सिंह कुंदनपुर ने राजस्थान के मुख्यमंत्री और बोर्ड के अध्यक्ष अशोक गहलोत को एक पत्र भेजकर कहा कि एक बार फिर से राजनीतिक कारणों के चलते मध्यप्रदेश के कूनो में दूसरे चरण में चीतों को आबाद किए जाने की तैयारी की जा रही है। राज्य सरकार को भी इस दिशा में कोशिश करनी चाहिए।
दरा अभयारण्य क्षेत्र के 82 वर्ग किलोमीटर के इलाके को चीते बचाने की दृष्टि से पहले ही उपर्युक्त पाया जा चुका है, तो यहां चीते लाकर बसाने में कहां दिक्कत है? जरूरत इस बात की है कि राज्य सरकार ठोस कदम उठाए और केंद्र पर दबाव बनाए। ताकि यहां चीतों को आबाद किया जा सके। यदि एक बार यहां चीते आबाद कर गए तो इससे हाडोती अंचल में रोजगार के नए अवसर और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में भरत सिंह कुंदनपुर ने कहा है कि एनटीसीए ने जानबूझकर के कोटा के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के दरा अभयारण्य वाले क्षेत्र में चीते लाकर बसाने के मामले में बाधा पैदा कर रखी है। मुख्यमंत्री को स्वयं आगे होकर इस मामले में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव से बातचीत करनी चाहिए। उन पर दबाव बनाना चाहिए कि दूसरी खेप में भारत लाए जाने वाले चीतों को दरा के 82 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में छोड़ा जाए।