नई दिल्ली। म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) की खरीद-बिक्री भी अब इनसाइडर ट्रेडिंग (Insider Trading) के दायरे में होगी। सेबी (SEBI) ने म्यूचुअल फंड यूनिट की खरीद-बिक्री को इनसाइडर ट्रेडिंग रेग्युलेशंस के दायरे में लाने के लिए नियमों में बदलाव किया है।
इस समय इनसाइडर ट्रेडिंग से जुड़े नियम सिर्फ लिस्टेड कंपनियों की सिक्योरिटी के मामले में और लिस्ट होने के लिए प्रस्तावित कंपनियों पर लागू होते हैं। अभी तक म्यूचुअल फंड यूनिट्स को सिक्योरिटी की परिभाषा से बाहर रखा गया था। सेबी का ताजा फैसला फ्रैंकलिन टेम्पलटन (Franklin Templeton) प्रकरण के बाद आया है। इसमें फंड हाउस के कुछ अधिकारियों पर यह आरोप है कि उन्होंने 6 डेट स्कीम्स पर रोक लगाए जाने से पहले उन स्कीम्स में अपनी हिस्सेदारी को भुनाया था।
सेबी ने गुरुवार को जारी एक अधिसूचना में कहा था, ‘कोई भी इनसाइडर किसी म्यूचुअल फंड की स्कीम की यूनिट्स में ट्रेड नहीं करेगा। अगर उसके पास प्राइस से संबंधित कोई सेंसिटिव जानकारी हो, जिसका किसी स्कीम की नेट एसेट वैल्यू पर महत्वपूर्ण प्रभाव हो सकता है या उससे जुड़े लोगों के हित प्रभावित हो सकते हैं।
24 नवंबर से प्रभावी नया नियम: असेट मैनेजमेंट कंपनियों को अपनी एमएफ योजनाओं की इकाइयों में एएमसी, ट्रस्टियों और उनके करीबी रिश्तेदारों की हिस्सेदारी का खुलासा करना होगा। इसके अलावा एएमसी का अनुपालन अधिकारी क्लोजिंग टाइम निर्धारित करेगा और इस दौरान नॉमिनेटेड व्यक्ति एमएफ यूनिट्स में लेनदेन नहीं कर सकता है। इनसाइडर ट्रेडिंग के नियमों में संशोधन 24 नवंबर से प्रभावी है।
OTC ट्रेड की रिपोर्टिंग: सेबी ने नॉन-कनवर्टिबल सिक्योरिटीज में ओवर द काउंटर (OTC) ट्रेड की रिपोर्टिंग के लिए यूनिफॉर्म फॉरमैट पेश किया है। नई गाइडलाइंस 1 जनवरी, 2023 से लागू हो जाएगी। दरअसल सेबी ने पाया था कि लिस्टेड नॉन-कन्वर्टिबल सिक्योरिटीज में ओटीसी ट्रेड की जो जानकारी स्टॉक एक्सचेंजों को दी जाती है, वह पूरी और सही नहीं होती है। नए फॉरमेट के आने के बाद एक्सचेंजों की वेबसाइट्स पर जो जानकारी दिखाई जाएगी, वह पूरी तरह सही हो।