कोटा। नगर निगम कोटा उत्तर और दक्षिण की ओर से संयुक्त रुप से कचरा उठाने और निस्तारित करने के लिए नान्ता स्थित ट्रेंचिंग ग्राउंड पर 1.65 करोड़ रुपये प्रति मशीन की कीमत से दो पुज्जोलाना मशीनें (Puzzolana Machines) स्थापित की गई हैं। जिनका उद्घाटन यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल के पुत्र अमित धारीवाल, कोटा उत्तर की महापौर मंजू मेहरा, आयुक्त वासुदेव मालावत ने किया।
इस दौरान उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए अमित धारीवाल ने कहा कि ट्रेंचिंग ग्राउंड पर 40 सालों से कचरे का पहाड़ खड़ा हो गया। इससे स्थानीय बाशिंदे बदबू में रहने को मजबूर थे। लोगों को आए दिन बीमारियां हो जाती थी। इसके निस्तारण के लिए पहली बार मंत्री शांति धारीवाल ने सोचा। स्मार्ट सिटी के तहत राज्य सरकार के सहयोग से इसके निस्तारण के लिए 20 करोड़ का बजट निर्धारित किया गया है।
संवेदक को कह दिया है कि संपूर्ण कचरे का निस्तारण समयबद्ध और गुणवत्तापूर्ण हो। इसके लिए यदि एक मशीन की और आवश्यकता होगी तो खरीद ली जाएगी। मंत्री धारीवाल की मंशा है कि 10 महीने में कचरे को वैज्ञानिक पद्धति से निस्तारित कर बाशिंदों को कचरे, बदबू और बीमारियों से मुक्ति दी जाए। वहीं इस स्थान पर ग्रीन बेल्ट विकसित हो। इससे नदीपार क्षेत्र को बड़ी राहत मिल सकेगी।
नदीपार के नान्ता, करनी नगर, बायोलीजोकल पार्क क्षेत्र में धुएं और दुर्गंध से मुक्ति मिलेगी। महापौर मंजू मेहरा ने कहा कि 40 साल से कचरे का ढेर पड़ा था, लेकिन किसी ने भी सुधि नहीं ली। अब मंत्री धारीवाल ने लोगों को इस ढेर से मुक्ति दिलाने के लिए पहल की है। इस जगह को समतल कर हरा भरा बनाएंगे।
आयुक्त वासुदेव मालावत तथा राजपाल सिंह ने बताया कि कोटा स्मार्ट सिटी परियोजना अंतर्गत ट्रेंचिंग ग्राउंड नगर निगम कोटा उत्तर- दक्षिण में लगे कचरे के अंबार लेगेसी वेस्ट का अब अत्याधुनिक मशीनों की सहायता से त्वरित गति से निस्तारण हो सकेगा। नांता स्थित ट्रेंचिंग ग्राउंड से 40 साल पुराने कचरे को उठाने के लिए 1.65 करोड़ प्रति की लागत से दो मशीनें स्थापित की गई हैं। इस संपूर्ण कचरे का एक वर्ष में वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण सुनिश्चित किया जाएगा। ट्रेंचिंग ग्राउंड परिसर में फैले हुए कचरे का लगभग 60 प्रतिशत निस्तारण 2 पोज़्ज़ोलोना मशीनों के माध्यम से होगा।
ऐसे करेगी पुज्जोलोना मशीनें कार्य
मुख्य अभियंता प्रेमशंकर शर्मा ने बताया कि सबसे पहले पड़े हुए कचरे पर बायो कल्चर का छिड़काव कर कचरे को स्टेबलाइज किया जाएगा। जिससे जैविक कचरे से खाद बनाने और दुर्गंध खत्म करने का काम होगा। इसके बाद चैन माइंडेड मशीन की मदद से पुज्जोलाना मशीन में डाला जाएगा। जहाँ प्रोसेस होकर चार प्रकार के उत्पाद प्राप्त होंगे। इनमें निकले कंपोस्ट को प्लांटर विकसित करने में काम लेंगे। रिसाईकलेबल मटेरियल को चक्रित करने के लिए भेजा जाएगा। मशीन से निकले इनर्ट को विभिन्न स्थानों को भरने और लेवलिंग में उपयोग लेंगे। इसके अलावा आरडीएफ को सीमेंट प्लांट में कोयले के स्थान पर क्लीन में जलाने में काम लेंगे। जिसके लिए लाखेरी प्लांट में कांट्रेक्ट किया गया है।
रोज 1600 घन मीटर कचरा होगा निस्तारित
मुख्य अभियंता प्रेमशंकर शर्मा ने बताया कि कचरे का जैविक पद्धति से निस्तारण होगा। यहाँ एकत्रित 9 लाख घन मीटर कचरे में से 5 लाख घन मीटर अगले वर्ष नवंबर तक निस्तारित कर दिया जाएगा। इसके लिए स्थापित मशीनों की क्षमता 800 घन मीटर प्रतिदिन की है। इस प्रकार प्रतिदिन 1600 घन मीटर कचरा निस्तारित हो सकेगा।