कोटा। शहर में विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए दिशा डेल्फी पब्लिक स्कूल कोटा में अब विदेशों की तर्ज पर शिक्षा मुहैया कराई जाएगी। स्कूल के संरक्षक डॉ.गोविंद माहेश्वरी ने बुधवार को प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि डीडीपीएस शिक्षा के स्तर में सुधार लाने का लगातार प्रयास कर रहा है। इसी क्रम में इस विद्यालय को इंटरनेशनल बोर्ड कैंब्रिज असेसमेंट इंटरनेशनल एजुकेशन (सीएआईई) से मान्यता मिल चुकी है।
इस मान्यता के बाद अब संस्थान की शिक्षण पद्धति और सुविधाओं में बढ़ोतरी होगी। विद्यार्थियों को दी जाने वाली शिक्षा में तकनीकी सहयोग से और अधिक गुणवत्ता मिल सकेगी। शिक्षा के क्षेत्र में जब भी नवाचार होता है तो वो विद्यार्थियों के लिए होता है और यह नवाचार भी विद्यार्थियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चुनौतियों के लिए तैयार करेगा।
डीडीपीएस सलाहकार समिति के सदस्य तुषार पारेख ने बताया कि कोटा के डीडीपीएस स्कूल में अब ग्लोबल लेवल की एजुकेशन दी जा सकेगी। केम्ब्रिज एजुकेशन वैसे तो काफी महंगी होती है लेकिन डीडीपीएस में बहुत ही रियायती दर पर विद्यार्थियों को केम्ब्रिज एजुकेशन मुहैया कराई जाएगी। प्रवेश की प्रकिया के सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि केम्ब्रिज पाठ्यक्रम में प्रवेश इंटरव्यू के माध्यम से होगा।
हाईब्रिड मोड में होगी पढ़ाई
डीडीपीएस की प्रशासिका डॉ. सारिका मोहता ने एक प्रजेंटेशन के माध्यम से बताया कि सीएआईई द्वारा स्कूल में हाइब्रिड मोड यानी ऑफलाइन एवं ऑनलाइन दोनों प्रकार से पढ़ाई कराई जाएगी। इस बोर्ड से मान्यता प्राप्त अन्य स्कूलों में केवल ऑफलाइन पढ़ाई की व्यवस्था है, जबकि डीडीपीएस में दोनों मोड में पढ़ाई होगी। ऐसा करने वाला डीडीपीएस भारत का पहला और दक्षिणी एशिया का दूसरा स्कूल है। इसमें 5 वर्ष की उम्र से 19 वर्ष की उम्र तक के विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण एजुकेशन दी जाएगी। इस वर्ष कक्षा 9 से 12वीं तक इस बोर्ड के माध्यम से पढ़ाई कराई जाएगी। अगले वर्ष से कक्षा 6 से 12वीं तक पढ़ाई कराई जाएगी।
रिसर्च आधारित पाठ्यक्रम
प्राचार्या डॉ. पूनम जैन ने बताया कि सीएआईई से मान्यता मिलने के बाद डीडीपीएस के विद्यार्थियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर की पढ़ाई का माहौल मिलेगा। विद्यार्थियों को इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी व अन्य एजुकेशन सिस्टम में आसानी से प्रवेश मिल सकेगा। इस बोर्ड का पाठ्यक्रम विस्तृत रिसर्च पर आधारित है। साल में तीन बार परीक्षाएं होने से विद्यार्थियों पर दबाव नहीं रहता। विद्यार्थी अपनी तैयारी और सुविधानुसार परीक्षा दे सकते हैं। इसके अलावा सीबीएसई बोर्ड के विद्यार्थी भी आसानी से बोर्ड परिवर्तन कर सीएआईई में या फिर दोनों बोर्ड में रह सकते हैं।