नई दिल्ली। अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के अध्यक्ष विवेक जौहरी ने कहा है कि करदाताओं की हर समस्या का निराकरण होगा। उन्होंने भविष्य में जीएसटी व्यवस्था में सुधार का वो रोडमैप भी बताया जिससे करदाताओं को सहूलियत होगी।
जौहरी ने बताया कि पुरानी मुश्किल व्यवस्था को जीएसटी के जरिए एक किया गया है। जाहिर है पूरी तरह व्यवस्थित होने में समय लगेगा। एक दर्जन से ज्यादा रिटर्न घटाकर तीन तक सीमित किए हैं। भविष्य में तकनीक के सामंजस्य से ऐसी व्यवस्था ले आएंगे कि करदाता को सारी जानकारी पहले से ही अपने रिटर्न फॉर्म में भरी मिलेगी।
वो केवल जानकारियों की पुष्टि करके ही रिटर्न फाइल कर पाएंगे। जीएसटी रिटर्न और संग्रह में इजाफा बताता है कि व्यापक तौर पर कारोबारियों ने इससे सामंजस्य बिठा लिया है। जिन कुछ लोगों को दिक्कत हो रही है उसका भी हम समाधान निकालेंगे।
जौहरी ने बताया कि वित्तवर्ष 2017-18 और 2018-19 के करीब 40 हजार रिटर्न का ऑडिट हो रहा है। इनमें जो गलतियां करोबारियों की तरफ से हुई होंगी उन्हें देखते हुए जरूरत पड़ी तो सिस्टम में सुधारा जाएगा। हम कारोबारियों को ऑनलाइन या ऑफलाइन जैसी जरूरत हुई ट्रेनिंग भी देंगे ताकि उन्हें जीएसटी व्यवस्था के साथ सामंजस्य बिठाने में दिक्कत न हो।
जौहरी ने बताया कि इस मामले में जीएसटी कानून के दायरे में ही कारोबारियों से अगर कोई टैक्स बनता होगा तो वो लिया जाएगा। साथ ही उसी हिसाब से अगर किसी मामले में पेनाल्टी की जरूरत हुई तो उस पर विचार होगा।
जौहरी ने बताया कि कई जगहों पर ऐसी शिकायतें मिलीं इसकी आड़ में कुछ उत्पादों पर लेबल होते हुए भी उस दायरे से बाहर थे। अब फैसला हुआ है कि जो भी उत्पाद फैक्ट्री से किसी नाम के लेबल के साथ एमआरपी और दूसरी जानकारी लिए हुए पैकेजिंग में आता है तो उस पर ये टैक्स लगेगा। कोई खुला उत्पाद अगर पैक करके ग्राहक को बेचा गया तो उस पर टैक्स नहीं लगेगा।
उन्होंने बताया कि पहले रजिस्ट्रेशन तीन दिन में हो जाता था, लेकिन समय के साथ-साथ इसमें भयंकर फर्जीवाड़ा देखा गया। लोग फर्जी बिल जारी कर जीएसटी रिफंड ले लेते थे। ऐसे में अब हमने इस प्रक्रिया को आधार के साथ जोड़ा है। साथ ही उनके प्रतिष्ठान का फिजिकल वेरिफिकेशन होगा। इस प्रक्रिया में समय लगेगा, लेकिन फर्जीवाड़े को रोकने के लिए ऐसा करना जरूरी है। अगर लोग आधार वैलिडेट करा देते हैं तो समय घटेगा।
जौहरी ने बताया कि जल्द ही देश में जीएसटी ट्रिब्यूनल का गठन किया जाएगा जिससे अलग-अलग जगहों के इन फैसलों के आने से पैदा होने वाली विसंगतियों को दूर किया जा सकेगा। इस साल ट्रिब्यूनल वास्तविकता में आते दिख सकते हैं।