नयी दिल्ली। मौजूदा रबी विपणन वर्ष में 17 अप्रैल तक केंद्र की गेहूं खरीद 32 प्रतिशत घटकर 69.24 लाख टन रह गई। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि निजी कंपनियां निर्यात के लिए आक्रामक रूप से गेहूं खरीद रही हैं, जिसके चलते यह गिरावट हुई।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, मौजूदा 2022-23 रबी विपणन सत्र (आरएमएस) में 17 अप्रैल तक सरकारी एजेंसियों ने लगभग 69.24 लाख टन गेहूं खरीदा, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में यह आंकड़ा 102 लाख टन था। रबी विपणन सत्र अप्रैल से मार्च तक चलता है, लेकिन ज्यादातर खरीद जून तक पूरी हो जाती है।
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और राज्य एजेंसियां न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद करती हैं। इस खरीद के जरिये सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के तहत पात्र लोगों को राशन दिया जाता है।
केंद्र ने विपणन वर्ष 2022-23 में रिकॉर्ड 444 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य रखा है, जबकि पिछले विपणन वर्ष में यह आंकड़ा 433.44 लाख टन था। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि निजी कंपनियों की खरीद बढ़ने के कारण सरकारी खरीद में गिरावट हुई है। ऐसा खासतौर से हरियाणा और मध्य प्रदेश में देखने को मिल रहा है।
उन्होंने कहा कि सरकार की खरीद में थोड़ी गिरावट होने पर भी इसका कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि सरकार के पास किसी भी आपात स्थिति के लिए अतिरिक्त बफर स्टॉक है।उन्होंने कहा कि सरकारी खरीद में गिरावट मुख्य रूप से मध्य प्रदेश और हरियाणा में देखी गई है, जहां निजी व्यापारी सक्रिय रूप से गेहूं खरीद रहे हैं।
आंकड़ों के अनुसार, हरियाणा में सरकार द्वारा गेहूं खरीद चालू विपणन वर्ष में 17 अप्रैल तक 28 लाख टन तक रही, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में यह आंकड़ा 44 लाख टन था। दूसरी ओर मध्य प्रदेश में इसी अवधि में 17 लाख टन के मुकाबले नौ लाख टन खरीद हुई। पंजाब में सरकारी एजेंसियों ने उक्त अवधि में 34 लाख टन के मुकाबले 32 लाख टन गेहूं खरीदा।