भारत में रात के कर्फ्यू का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं: डब्ल्यूएचओ

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नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की मुख्य विज्ञानी सौम्या स्वामीनाथन ने भारत में रात के कर्फ्यू को लेकर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए रात में कर्फ्यू लगाने का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। एक टीवी न्यूज चैनल से बातचीत में स्वामीनाथन ने कहा कि भारत जैसे देशों को वायरस के प्रसार को रोकने के लिए विज्ञान आधारित नीतियां बनानी चाहिए। रात के कर्फ्यू के पीछे कोई वैज्ञानिक तथ्य नहीं है। साक्ष्यों पर आधारित उपाय किए जाने चाहिए।

उन्होंने कहा कि मनोरंजन स्थलों पर कुछ पाबंदियां लगाना स्वाभाविक है, क्योंकि यहां ज्यादा लोग जुटते हैं और संक्रमण का ज्यादा प्रसार भी ऐसे ही जगहों से होता है। उन्होंने कहा कि भारत में ओमिक्रोन के मामले बहुत तेजी से बढ़ेंगे और कुछ शहरों में मामले बढ़ने भी लगे हैं, परंतु लोगों को इससे घबराने की जरूरत नहीं, बल्कि इससे निपटने के लिए तैयार रहने की आवश्यकता है।

स्वामीनाथन ने इसके अलावा एक ट्वीट किया कि संक्रमण के चलते अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ेगी, खासकर ऐसे मरीजों की जिन्होंने टीके नहीं लगवाए हैं। उन्होंने कहा कि ओमिक्रोन से भले ही कम गंभीर बीमारी हो, लेकिन संक्रमितों की संख्या बहुत ज्यादा बढ़ेगी और ऐसे में इनमें से अगर थोड़े बहुत लोगों को भी अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ती है तो वैश्विक स्वास्थ्य व्यवस्था के चरमराने का डर है। उन्होंने यह भी कहा कि डेल्टा से संक्रमण हो या ओमिक्रोन से, टीकाकरण से बचाव मिलेगा और अस्पताल में भर्ती होने और मौत का खतरा कम होगा।

गौरतलब है कि भारत में अबतक ओमिक्रोन वैरिएंट के 1300 से अधिक मामले सामने आ गए हैं। नए वैरिएंट के बचाव को लेकर देश की राजधानी दिल्ली समेत कई राज्यों और शहरों में नाइट कर्फ्यू लगाया गया है।