प्राकृतिक खेती को जनआंदोलन बनाया जाए: पीएम मोदी

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नई दिल्ली। प्राकृतिक और जीरो बजट फार्मिंग पर गुजरात में चल रहे तीन दिवसीय कार्यक्रम के समापन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने प्राकृतिक खेती के फायदों के बारे में बताया और कहा कि इसका सबसे ज्यादा लाभ छोटे किसानों को होगा। यह सम्मेलन 14 दिसंबर को शुरू हुआ था।

इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री अमित शाह और नरेंद्र सिंह तोमर शामिल हुए। प्रधानमंत्री ने वर्चुअली कार्यक्रम में हिस्सा लिया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक खेती से जिन्हें सबसे अधिक फायदा होगा, वो हैं देश के 80 फीसद किसान। वो छोटे किसान, जिनके पास 2 हेक्टेयर से कम भूमि है। इनमें से अधिकांश किसानों का काफी खर्च, केमिकल फर्टिलाइजर पर होता है। अगर वो प्राकृतिक खेती की तरफ मुड़ेंगे तो उनकी स्थिति और बेहतर होगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि से जुड़े हमारे प्राचीन ज्ञान को हमें न सिर्फ फिर से सीखने की जरूरत है, बल्कि उसे आधुनिक समय के हिसाब से तराशने की भी जरूरत है। इस दिशा में हमें नए सिरे से शोध करके प्राचीन ज्ञान को आधुनिक वैज्ञानिक फ्रेम में ढालना होगा। उन्होंने कहा कि केमिकल और फर्टिलाइजर ने हरित क्रांति में अहम रोल निभाया है लेकिन इसके विकल्पों पर भी साथ ही साथ काम करते रहने की जरूरत है।

पीएम मोदी ने यह भी बताया कि इस कान्क्लेव के दौरान हजारों करोड़ रुपये के समझौते पर भी चर्चा हुई है। उन्होंने कहा, खेती के अलग अलग आयाम हों, फूड प्रोसेसिंग हो या प्राकृतिक खेती हो ये विषय 21वीं सदी में भारतीय कृषि का कायाकल्प करने में बहुत मदद करेंगे।

उन्होंने आगे कहा कि पिछले 6-7 सालों में किसानों की आय बढ़ाने के लिए अनेक कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा, ये कान्क्लेव गुजरात में जरूर हो रहा है लेकिन इसका असर पूरे भारत के लिए है। भारत के हर किसान के लिए है। इसके साथ ही उन्होंने सभी राज्यों से प्राकृतिक खेती को जनआंदोलन बनाने का आग्रह किया। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हर पंचायत का कम से कम एक गांव जरूर प्राकृतिक खेती से जुड़े, ये प्रयास हम कर सकते हैं।