सोया डीओसी का आयात नहीं होने से किसानों ने ली राहत की सांस

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कोटा। सोयाबीन किसानों में असमंजस का माहौल हुआ है और उन्हें ये समझ नहीं आ रहा है कि अपनी सोयाबीन अपनी रोके या बेच दें। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने आश्वस्त किया है कि देश के किसानों के हित में सोयाबीन के तेल रहित खल (डीओसी) का आयात नहीं होगा। इससे किसानों ने राहत की सांस ली है। अगर सोया डीओसी का आयात नहीं होता है तो ये सोयाबीन किसानों के लिए किसी बड़ी जीत से कम नहीं होगा।

वैसे सोपा ने अपने आंकड़ें जारी करते हुए कहा था कि इस बार सोयाबीन का उत्पादन लगभग 119 लाख टन रहने की उम्मीद है। जोकि पिछले साल के मुकाबले लगभग 14 फीसदी ज्यादा है। सरकार का सोयाबीन उत्पादन का आंकड़ा सोपा से भी ज्यादा है।

अगर इनके आंकड़ों के अनुसार चला जाए तो जब सोयाबीन का उत्पादन पिछले साल के मुकाबले ज्यादा बताया जा रहा है तो फिर सोया खली के आयात की जरुरत क्या है। वैसे भी जब सरकार ने सोया खली का आयात किया था तब सोयाबीन MSP के आधे से भी नीचे कीमतों पर बिकती नज़र आई थी।

तब पोल्ट्री ने सोयाबीन की खरीद क्यों नहीं की। तब पोल्ट्री ने सोयाबीन का स्टॉक क्यों नहीं बनाया। सोयाबीन किसानों का यह पोल्ट्री से ये बड़ा सवाल है। पोल्ट्री जो चाह रही थी वो तो हो ही गया था, तो फिर स्टॉक क्यों नहीं बनाया.

ऐसे में अगर सरकार सोया खली का आयात करती तो सोयाबीन किसान फिर से डूब जाते और आगे चुनाव भी हैं। हाल ही में सरकार ने कृषि कानून वापस भी लिए है। ऐसे में जानकार सोयाबीन में तेजी की ही संभावना बता रहे है। जानकारों के अनुसार सोयाबीन किसानों को अभी कोई जल्दबाज़ी नहीं करनी चाहिए। हालात को देखकर ही अपना फैसला लेना चाहिए।