सोया खली का निर्यात 78 प्रतिशत घटकर 30,000 टन पर सिमटा

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इंदौर। ऊंची कीमतों के चलते वैश्विक मांग में कमी के कारण भारत से अक्टूबर के दौरान सोया खली का निर्यात करीब 78 प्रतिशत घटकर महज 30,000 टन पर सिमट गया। पिछले साल अक्टूबर में देश से 1.35 लाख टन सोया खली का निर्यात गया था।

प्रसंस्करणकर्ताओं के इंदौर स्थित संगठन सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के कार्यकारी निदेशक डीएन पाठक ने बताया, ‘‘अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय सोया खली के भाव अमेरिका, ब्राजील और अर्जेंटीना के इस उत्पाद के मुकाबले ऊंचे बने हुए हैं। भारतीय सोया खली की मांग में गिरावट का सबसे प्रमुख कारण यही है। गौरतलब है कि अमेरिका, ब्राजील और अर्जेंटीना की गिनती दुनिया के सबसे बड़े सोयाबीन उत्पादकों के रूप में होती है।

पाठक ने बताया कि अक्टूबर के दौरान देश के तेल संयत्रों में सोया खली का उत्पादन करीब 37 प्रतिशत गिरकर 4.79 लाख टन रह गया। अक्टूबर, 2020 में घरेलू संयंत्रों में सोयाबीन का तेल निकालने से 7.58 लाख टन सोया खली बनी थी।

उन्होंने बताया कि देश की मंडियों में नयी फसल की आवक के बीच मांग बढ़ने से सोयाबीन के भाव ऊंचे बने हुए हैं जिससे प्रसंस्करण संयंत्रों द्वारा इस तिलहन की खरीद प्रभावित हुई है।

संयंत्रों में सोयाबीन का तेल निकाल लेने के बाद बचने वाले उत्पाद को सोया खली कहते हैं। यह उत्पाद प्रोटीन का बड़ा स्रोत है। इससे सोया आटा और सोया बड़ी जैसे खाद्य पदार्थों के साथ पशु आहार तथा मुर्गियों का दाना भी तैयार किया जाता है।