इंदौर। पिछले सप्ताह सोयाबीन ने नए ऊंचाई के रिकॉर्ड बनाये वहीं सप्ताहांत में गिरावट भी देखी गई। इस सप्ताह की शुरुआत भी गिरावट के साथ हुई। सोयाबीन के फंडामेंटल्स काफी मजबूत हैं। इसलिए सोयाबीन की कीमतों में जोरदार तेजी देखने को मिल रही हैं। वैश्विक स्तर पर सोयाबीन के उत्पादन में काफी गिरावट आई हैं जिससे सोयाबीन की किल्लत देखने को मिल रही हैं।
पिछले कुछ सालों से लगातार बारिश से सोयाबीन की फसल ख़राब हुई हैं, जिससे इसकी उपलब्धता कमजोर रही। सोयाबीन के आयात में भी कमी और सोयाबीन से बनने वाले उत्पादों की मांग में तेजी देखी गई है। जिसका असर सोयाबीन की कीमतों पर दिखाई दिया। वहीं हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन एनसीडीईएक्स पर सोयाबीन की कीमतों में 5.62 फीसदी की जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई। सोयाबीन के साथ रिफाइंड सोया तेल की कीमतों में भी गिरावट देखने को मिली हैं।
पिछले सप्ताह वायदा बाजार में सोयाबीन के भाव ऊँचे में 10455 रुपये पर गया लेकिन फिर उन स्तरों पर टिकने में असफल रहा। सोयाबीन अगस्त वायदा पिछले सप्ताह भारी उतार-चढाव के बाद अंत में 5% की साप्ताहिक गिरावट के साथ बंद हुआ। हाजिर में सोयाबीन की कमी और खरीफ फसलों को कई राज्यों में नुकसान के चलते महाराष्ट्र के कीर्ति प्लांट में भाव 11000 रुपये तक पंहचा।
सोयाबीन की मंडियों में आवक घटकर 40000 बोरी तक ही रह गयी है। राजस्थान के कोटा बारां , बूंदी में 148477 हेक्टेयर में सोयाबीन फसल हाल में आयी बाढ़ और बारिश से प्रभावित हुई। सोयाबीन डीओसी के भाव 90,000 रुपये प्रति टन के ऊपर पहुंचे। डीओसी की ऊँची कीमतों से पोल्ट्री उद्योग को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
ऊँची कीमतों से राहत के लिए उद्योग ने इयूटी फ्री सोया डीओसी इम्पोर्ट करने की मांग रखी है। अंतराष्ट्रीय बाजार में सोया डीओसी के भाव भारतीय डोओसी से लगभग आधे भाव पर मिल रहा है। ऐसे में सस्ते भाव पर आयात करने से कुछ हद इंडस्ट्री को फायदा पहुंचेगा। (देखिये वीडियो)