MSME की रेटिंग से लोन लेने में होगी आसानी-नितिन गडकरी

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नई दिल्ली। बड़ी कंपनियों की तरह अब सूक्ष्म, लघु एवं मझोली इकाइयों (एमएसएमई) की भी रेटिंग होगी। इससे उन्हें अपने कारोबार के लिए वित्तीय इंतजाम करने में आसानी होगी और विदेशी निवेशक उनमें पूंजी लगा सकेंगे। सोलर, इलेक्ट्रिक वाहन, बायोगैस जैसे ग्रीन सेक्टर में एमएसएमई को प्रोत्साहित करने की योजना भी तैयार की जा रही है। वित्तीय संस्थान ग्रीन सेक्टर में काम करने वाली एमएसएमई को प्राथमिकता के आधार पर लोन देंगे। केंद्रीय एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को चेंबर ऑफ इंडियन एमएसएमई (सीआइएमएसएमई) की तरफ से आयोजित कार्यक्रम में यह जानकारी दी।

गडकरी ने कहा कि एमएसएमई के लोन आवेदन पर फैसला लेने में देरी करने वाले अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए। एमएसएमई को होने वाले भुगतान की समस्या को दूर करने के लिए भी एमएसएमई मंत्रालय स्थायी समाधान खोज रहा है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि जीएसटी और इनकम टैक्स रिकॉर्ड के आधार पर एमएसएमई की रेटिंग की जा सकती है। सभी जिलों में चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) के सहयोग से यह हो सकता है। एक निर्धारित तरीके से सीए एमएसएमई की रेटिंग करेंगे।

रेटिंग होने से एमएसएमई को वित्तीय संस्थानों से लोन मिलने में आसानी होगी। उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद सिडबी (भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक) के चेयरमैन एवं एमडी एस. रमन एवं चेंबर ऑफ इंडियन एमएसएमई के प्रेसिडेंट मुकेश मोहन गुप्ता को एमएसएमई की रेटिंग के मानक तैयार करने के लिए कहा। मंत्रालय की सभी स्कीम को एक जगह पर एकत्रित करने के लिए डैशबोर्ड बनाए जाएंगे। डैशबोर्ड को सभी बैंक व वित्तीय संस्थाओं से भी जोड़ा जाएगा।

गडकरी ने कहा कि एमएसएमई के लोन आवेदन पर निर्धारित समय में अधिकारियों की तरफ से फैसला लिया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि लोन के कई मामलों में फैसला लेने में छह-सात साल लग गए। मंत्रालय के डैशबोर्ड पर यह पता चल जाएगा कि किसी उद्यमी का लोन आवेदन क्यों खारिज हुआ। गडकरी ने कहा कि अधिकारियों को जटिल स्कीम की जगह सरल स्कीम तैयार करना चाहिए ताकि उद्यमियों को आसानी से उसका लाभ मिल सके। ग्रीन सेक्टर में काफी संभावनाएं निकल रही हैं और इन सेक्टर में एमएसएमई के आने से रोजगार निकलेंगे और कारोबार की लागत में भी कमी आएगी।

इस मौके पर रमन ने बताया कि सिडबी छोटे या माइक्रो स्तर के कारोबारियों को लोन सुविधा देने के लिए उन्हें डिजिटल तरीके से जोड़ने की तैयारी कर रहा है। ये कारोबारी गांवों में या छोटे शहरों में 30-40 फीसद दर पर निजी रूप से कर्ज लेते हैं। सिडबी उनके कारोबार को डिजिटल आंकड़ों के आधार पर उन्हें फिनटेक के माध्यम से काफी कम दर पर लोन लेने में मदद करेगा।

गुप्ता ने बताया कि सीआइएमएसएमई उद्यमी तैयार करने के लिए पाठशाला का आयोजन कर रहा है ताकि देश के युवा इस स्कीम का लाभ उठाकर रोजगार देने वाले बन सकें। अभी देश के सकल घरेलू उत्पाद में एमएसएमई का योगदान 30 फीसद है जिसे बढ़ाकर 40 फीसद करने का लक्ष्य रखा गया है। वैसे ही निर्यात में एमएसएमई के 48 फीसद के योगदान को 60 फीसद पर ले जाने का लक्ष्य है।