कोटा। भारतीय किसान संघ ने केन्द्र सरकार की ओर से पारित किए गए कृषि उपज के व्यापार संबंधी तीनों बिलों में संशोधनों को लेकर आंदोलन की चेतावनी दी है। केंद्र सरकार के द्वारा वार्ता के लिए बुलाए प्रतिनिधिमंडल में भारतीय किसान संघ के सदस्य भी शामिल हैं। भारतीय किसान संघ के के संभागीय प्रवक्ता आशीष मेहता ने बताया कि कृषि कानूनों को लेकर संगठन की ओर से 24 सितंबर को ही कृषि मंत्री से मिलकर अपनी आपतियाँ दर्ज करा दी थी।
प्रांत मंत्री जगदीश कलमंडा तथा अध्यक्ष गिरिराज चौधरी ने कहा कि कृषि कानूनों में कुछ खामियां हैं। जिनकी ओर भारतीय किसान संघ ने केन्द्र सरकार की ओर से नियुक्त वार्ताकर नरेन्द्र सिंह तोमर को भी फिर से अवगत करा दिया है। भारतीय किसान संघ ने महत्वपूर्ण सुझाव केन्द्र सरकार को दिए हैं। यदि केन्द्र सरकार की ओर से सुझावों पर अमल करते हुए संशोधन नहीं किए गए तो इन बिलों को लेकर भारतीय किसान संघ भी देशभर में आंदोलन शुरू करेगा।
उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा कृषि ऊपज के व्यापार सम्बन्धी पारित किए गए तीनों कानूनों में खामियां है। भारतीय किसान संघ की ओर से चार सुझाव दिए गए हैं। जिसमें कहा कि सभी प्रकार की खरीद समर्थन मूल्य पर होने का कानूनी प्रावधान होना चाहिए। वहीं निजी व्यापारियों का राज्य एवं केंद्र स्तर पर पंजीयन आवश्यक हो तथा उनकी बैंक सेक्युरिटी हो। जो एक पोर्टल के द्वारा सबके लिए उपलब्ध रहे।
इस संदर्भित जो भी विवाद हों उनके समाधान हेतु स्वतंत्र कृषि न्यायालयों की व्यवस्था हो और सब विवादों का निपटारा किसान के गृह जिले में ही होना चाहिए। इसके अलावा इन कानूनों में ‘किसान’ की परिभाषा में कार्पोरेट कंपनियां भी एक किसान के रूप में आ रही हैं। उसको भी तर्कसंगत बनाकर जो केवल कृषि पर ही निर्भर हैं, वहीं इस परिभाषा में किसान माना जावे। यह सुधार होना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि केन्द्र सरकार की ओर से आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 में सुधार कानून, कृषि ऊपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) कानून, कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार कानून लोकसभा से पास किए जा चुके हैं। जिनको लेकर किसानों का आंदोलन चल रहा है। कानूनों में उपयुक्त संशोधन नहीं होने की स्थिति में भारतीय किसान संघ भी आंदोलन में कूद जाएगा।