नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को MPC की बैठक का ब्योरा जारी किया। ब्योरे के मुताबिक 7-9 अक्टूबर को हुई मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में आरबीआई के डिप्टी गवर्नर और MPC के सदस्य माइकल पात्रा ने कहा कि कोरोनावायरस महामारी के कारण जीडीपी में जो गिरावट आई है, उसकी भरपाई करने में कई साल लग सकते हैं। प्री-कोविड स्तर के मुकाबले जीडीपी में करीब 6 फीसदी गिरावट का अनुमान जताते हुए उन्होंने कहा कि कोविड-19 के बाद विकास कुछ अलग तरीके से हो सकता है, क्योंकि सामाजिक व्यवहार और कारोबारी और वर्कप्लेस व्यवहार में काफी बदलाव आया है।
वहीं, RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि रूरल डिमांड से आर्थिक रिकवरी आ सकती है। गांवों में कंजप्शन डिमांड में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। उन्होंने कहा का जून तिमाही में जीडीपी में भारी गिरावट के बाद सितंबर तिमाही में इकॉनोमी में कुछ सुधार हुआ है। MPC के मुताबिक कृषि सेक्टर का आउटलुक अच्छा है। लेकिन निर्यात में धीमी बढ़ोतरी और आयात में गिरावट कम होने से दूसरी तिमाही में पहली तिमाही के मुकाबले व्यापार घाटा थोड़ा बढ़ा है।
पैसेंजर व्हीकल अगस्त में गिरावट से बाहर निकला
गवर्नर ने कहा कि पैसेंजर व्हीकल अगस्त में गिरावट से बाहर निकल गया। सितंबर में GST ईवे बिल बढ़कर प्री-कोविड स्तर तक पहुंच गया और जीएसटी रेवेन्यू जून तिमाही से बेहतर रहा। मैनयूफैक्चरिंग और सर्विसेज पीएमआई में भी धीरे-धीरे सुधार हो रहा है।
दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था में स्थिरता आने के संकेत
MPC की चर्चा में कहा गया कि इस कारोबारी साल की दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था में स्थिरता आने के संकेत मिल रहे हैं। सरकारी खर्च और रूरल डिमांड के कारण मैन्यूफैक्चरिंग और कुछ श्रेणी की सर्विसेज (जैसे पैसेंजर व्हीकल्स और रेलवे फ्रेट्स) में दूसरी तिमाही में रिकवरी आई है। पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में जीडीपी में 23.9 फीसदी गिरावट दर्ज की गई थी।
RBI ने मुख्य ब्याज दरों का जस का तस रखा
7-9 अक्टूबर को हुई इस मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में RBI ने मुख्य ब्याज दर रेपो दर को 4 फीसदी पर और रिवर्स रेपो दर को 3.35 फीसदी पर जस का तस छोड़ दिया था। RBI ने इस कारोबारी साल में जीडीपी में 9.5 फीसदी गिरावट की आशंका भी जताई थी। केंद्रीय बैंक ने कहा था कि जनवरी-मार्च 2021 तिमाही में ही विकास दर सकारात्मक दायरे में आ पाएगी।