नई दिल्ली। सोयाबीन मंडियों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम कीमत पर बिकने के कारण किसानों की नाराजगी लगातार बढ़ रही थी। किसानों की नाराजगी कम करने के लिए केन्द्र सरकार ने सोयाबीन खरीदने का फैसला किया है।
सरकार 4892 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से सोयाबीन खरीदेगी। केंद्र सरकार ने दो राज्यों महाराष्ट्र और कर्नाटक में न्यूनतम 90 दिनों की गारंटी के साथ सोयाबीन खरीद केंद्र स्थापित करने की मंजूरी दे दी है।
महाराष्ट्र और कर्नाटक में सेंट्रल नोडल एजेंसियां NAFED (नाफेड) और ACCF न्यूनतम आधार मूल्य पर सोयाबीन खरीदेंगी। महाराष्ट्र के कृषि मंत्री धनंजय मुंडे ने कहा कि की मांग के अनुरूप केन्द्र सरकार ने सोयाबीन और उड़द के लिए 90 दिनों के लिए समर्थन मूल्य योजना के तहत खरीद केंद्र स्थापित करने की मंजूरी दे दी है।
मुंडे ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात करके मांग की थी कि बाजार मूल्य में गिरावट के कारण होने वाले नुकसान से किसानों को बचाने के लिए गारंटी के साथ सोयाबीन खरीद केंद्र शुरू करने की मंजूरी दी जानी चाहिए।
साथ-साथ सोया दूध, खाद्य तेल, सोया केक की तरह सोयाबीन उत्पादों के आयात पर शुल्क लगाया जाना चाहिए। मुंडे ने कहा कि केंद्र सरकार ने 90 दिनों के लिए गारंटी मूल्य के साथ सोयाबीन खरीद केंद्र की स्थापना को मंजूरी दे दी है और इससे सोयाबीन किसानों को अधिक वित्तीय लाभ मिलेगा।
मुंडे के मुताबिक पिछले साल सोयाबीन की कीमतों में गिरावट के कारण किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा था। नुकसान को देखते हुए राज्य सरकार ने सोयाबीन और कपास किसानों को प्रति हेक्टेयर पांच हजार रुपये की वित्तीय सहायता देने का फैसला किया। इसके लिए राज्य सरकार ने 4200 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी है और जल्द ही यह सब्सिडी सीधे किसानों के खाते में पहुंचा दी जाएगी।
सरकार के इस फैसले से किसानों को फायदा होगा हालांकि उद्योग जगत के लोग इससे खुश नजर नहीं आ रहे हैं। एशियन पाम ऑयल एलायंस (एपीओए) के चेयरमैन अतुल चतुर्वेदी का कहना है कि आयात शुल्क बढ़ाकर भी सोयाबीन के दाम बढ़ाए जा सकते हैं लेकिन सरकार का ज्यादा ध्यान महाराष्ट्र में है क्योंकि यहां जल्द ही चुनाव होने वाले हैं । महाराष्ट्र में अधिक दाम मिलने की वजह से मध्य प्रदेश के किसान महाराष्ट्र में लाकर अपनी फसल बेचेंगे। जो एक नई समस्या को जन्म देगा।