जिनकी कृत्यों और लोगों की वजह से अपयश हो उन्हें त्यागें: आदित्य सागर महाराज

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कोटा। संसार में जिन कार्यों की वजह से आपका यश न फैले और अपयश बढ़े, ऐसे कार्यों व मनुष्य का तुरंत त्याग करें। यश व आभूषण है जिसके बाद आपको किसी भी अन्य आभूषण की आवश्यकता नहीं होती है। अपयश तो मृत्यु के समान है। यह बात आदित्य सागर जी मुनिराज ने चंद्र प्रभु दिगम्बर जैन मंदिर समिति द्वारा आयोजित नीति प्रवचन में कही।

इस अवसर पर अप्रमित सागर और मुनि सहज सागर महाराज संघ का सानिध्य भी प्राप्त हुआ। महाराज आदित्य सागर ने कहा कि कपड़ों का उदाहरण देते हुए कहा कि यदि कपड़े छोटे हो जाएं या फट जाए तो उनका हम त्याग कर देते हैं क्योकि वह अशोभनीय होते हैं। जब कोई व्यक्ति अपयश का कारण बने तो उसे त्याग दो।

इस संसार में सबसे बहुमूल्य चीज आपका यश है। उन्होंने कहा कि यदि हम दान व दया करते हैं तो हमारे यश में वृद्धि होती है। दयावान का यश हमेशा बढ़ता है। कंजूस का यश सदैव घटता है। इस अवसर पर चातुर्मास समिति के अध्यक्ष टीकम चंद पाटनी, मंत्री पारस बज, रिद्धि-सिद्धि जैन मंदिर अध्यक्ष राजेन्द्र गोधा, सचिव पंकज खटोड़, राजमल पाटोदी सहित कई लोग उपस्थित रहे।