Kota Airport: अभी नहीं बन सकने वाले हवाई अड्डे में राजनेता क्यों ढूंढ़ रहे सहारा?

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राजस्थान के तीसरे सबसे बड़े शहर कोटा को नियमित विमान सेवा से जोड़ने का यह सवाल बीते दो दशकों में कोटा में यह एक बहुत बड़ा राजनीतिक मसला बना रहा है। चुनाव आते ही यह मसला खड़ा हो जाता है, जैसा कि इस बार भी हो रहा है।

-कृष्ण बलदेव हाडा-
Kota Airport: कोटा के लोगों को किसी भी चुनाव से पहले यह यक्ष प्रश्न हमेशा खड़ा मिलता है कि कोटा को नियमित विमान सेवा से जोड़ा जाए लेकिन क्या कोटा को विमान सेवा से जोड़ा जाना इतना जरूरी है कि उसके बिना कोटा के लोगों का गुजर-बसर ही नहीं हो रहा है तो फ़िर इस सवाल का जवाब क्यों नहीं खोजा जाता कि कोटा से शुरू की गई विमान सेवा हर बार इसलिए बंद कर दी गई, क्योंकि जिस भी वायुमार्ग के लिए विमान सेवा शुरू की गई, उसे कोटा से या कोटा के लिए पर्याप्त यात्री भार नहीं मिला।

कम से कम कोटा को विमान सेवा से जोड़ने से जुड़ी रही विमानन कंपनियां तो अपने अनुभव के आधार पर यही तर्क पेश करती हैं, जो उन्होंने विमान सेवा का संचालन बंद करने से पहले सरकारों को बताया तो फ़िर कोटा को विमान सेवा से जोड़ने के लिए इतनी जद्धोजहद क्यों? फ़िर सबसे बड़ा सवाल यह कि लोकसभा चुनाव निपटते ही यह मुद्दा भी निपटा दिया गया?

राजस्थान के तीसरे सबसे बड़े शहर कोटा को नियमित विमान सेवा से जोड़ने का यह सवाल बीते दो दशकों में कोटा में यह एक बहुत बड़ा राजनीतिक मसला बना रहा है। चुनाव आते ही यह मसला खड़ा हो जाता है, जैसा कि इस बार भी हो रहा है। विधानसभा चुनाव से लेकर हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव तक यह मसला आग उगल रहा था और लोकसभा चुनाव के बाद अब कोई बात तक नहीं कर रहा।

यानी यह स्पष्ट संकेत है कि कोटा में नये हवाई अड्डे का निर्माण और कोटा को नियमित विमान सेवा से जोड़ना महज चुनावी मुद्दे ही होते हैं। इसलिए मतदाता ज्यादा भ्रम नहीं पाले। रही बात मौजूदा केन्द्र सरकार की तो कोटा में हवाई अड्डे की निर्माण और कोटा को नियमित विमान सेवा से जोड़ना उसकी प्राथमिकता में कभी शामिल ही नहीं रहा तो किस आधार पर सांसद या अन्य नेता कोटा को विमान सेवा से जोड़ने की बात करते हैं?

प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी की सरकार ने पिछले साल जब देश के जिन 50 प्रमुख शहरों को नियमित विमान सेवा से जोड़ने की योजना बनाई थी और सार्वजनिक घोषणा भी की थी, उसमें कोटा का नाम तो शामिल ही नहीं था। फ़िर कोटा को विमान सेवा से जोड़ने के बढ़-चढ़ कर दावे क्यों किये जाते हैं,यह समझ के परे है।

रहा सवाल चुनाव का तो यहां बता दें कि चुनाव कोटा नगर निगम के न्यूनतम इकाई पार्षद के हो या लोकसभा के,यह मसला उठाने में कोई कमी कोई भी राजनीतिक पार्टी ने छोड़ती, जबकि सब जानते हैं कि होना-जाना कुछ नहीं है।