कोटा। ईथॉस हॉस्पिटल कोटा में एक बार फिर गंभीर और जटिल एंजियोप्लास्टी द्वारा हार्ट बाईपास सर्जरी के विकल्प को मात देकर मरीज की जान बचाई है। वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. शुभम् जोशी एवं डॉ. कार्तिक जायसवाल ने बताया की सुकेत निवासी रामस्वरूप शर्मा को वर्ष 2017 में हृदयघात हुआ। मुख्य धमनी एलएडी पूर्णतया और अन्य धमनियों में 70 से 80 प्रतिशत ब्लोकेज था।
उन्होंने बताया कि दूसरा हार्ट अटैक आने के बाद जब उन्हे ईथाॅस हाॅस्पिटल लाया गया तो डॉ. जोशी एवं जायसवाल ने एंजियोग्राफी जाँच के दौरान पाया कि हृदय तक खून पहुंचानी वाली मुख्य धमनी एलएडी पूर्ण तरह से अवरुद्ध है और अन्य दो प्रमुख धमनियों की हालत भी खराब है। उनका 100 प्रतिशत मार्ग अवरुद्ध हो चुका था।
प्रायः ऐसी स्थिति में डाक्टर बाईपास की ही सलाह देकर मरीज की जान बचाते हैं। परन्तु ईथाॅस की डाक्टरों की टीम ने नवीन तकनीक के माध्यम से बाईपास सर्जरी के बिना ब्लाॅकेज खोल दिए। जिसको की हृदय चिकित्सा की भाषा में क्रोनिक टोटल ऑकलूजन (Chronic Total Occlusion) कहते हैं।
ईथॉस हॉस्पिटल कोटा के अनुभवी वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. शुभम् जोशी एवं डॉ. कार्तिक जायसवाल एवं इनकी टीम ने इस चुनौती भरी हृदय समस्या में एक आशा की किरण नजर आई। उसी संभावना को 2 घंटे की कठिन प्रक्रिया द्वारा हृदय की प्रमुख नस का विशेष तकनीक से ब्लॉकेज हटाकर पूर्ण रूप से खोल दिया और मरीज को हार्ट बाईपास सर्जरी के विकल्प को मात दे दी।
डा.जोशी एवं जायसवाल ने बताया कि क्रोनिक टोटल ऑकलूजन (Chronic Total Occlusion) तकनीक से हृदय रोगी राम स्वरूप का उपचार किया गया। 2 घण्टे की कठिन शल्य चिकित्सा के उपरान्त प्रमुख एलएडी ब्लाॅकेज (lad blockage) निकाल कर बिना बाईपास के मरीज को ऑपरेशन किया गया।
क्या है सीटीओ (Chronic Total Occlusion) तकनीक
डा.जोशी व जायसवाल ने बताया कि सीटीओ प्रक्रिया के दौरान इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट (Interventional cardiologist) कमर या कलाई के पास कैथेटर के माध्यम से रोगी की धमनियों में प्रवेश करता है। मानक पीसीआई (एंजियोप्लास्टी) अवरोध के माध्यम से तार को पास करना और छोटे गुब्बारों और स्टेंट का उपयोग करके एंजियोप्लास्टी की जाती है। सीटीओ रुकावट को भेदने के लिए विशेष तारों और कैथेटर की आवश्यकता होती है। मानक पीसीआई तकनीकों का उपयोग एक गुब्बारे को फुलाकर और स्टेंट का उपयोग करके रुकावट को खोलने के लिए किया जाता है। इससे रक्त प्रवाह सामान्य हो जाता है।