बारिश में देरी से खरीफ सत्र में धान और तिलहन फसलों का रकबा घटा

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नई दिल्ली। देश के कुछ हिस्सों में मानसून (Monsoon) की बारिश में देरी के कारण चालू खरीफ सत्र (Kharif season) में कुछ फसलों की बुवाई कम रही है। अब तक धान की बुवाई (Paddy Sowing) का रकबा 24 फीसदी घटकर 72.24 लाख हेक्टेयर रह गया है। इस तरह तिलहन (Oilseeds) का रकबा 20 फीसद घटकर 77.80 लाख हेक्टेयर रहा है। कृषि मंत्रालय (Ministry of Agriculture) के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है।

फसल वर्ष 2021-22 (जुलाई-जून) की समान अवधि में 95 लाख हेक्टेयर में धान और 97.56 लाख हेक्टेयर में तिलहन बोया गया था। खरीफ फसलों की बुवाई जून में दक्षिण-पश्चिम मानसून आने के साथ-साथ शुरू होती है। धान खरीफ की प्रमुख फसल है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने इस साल सामान्य मानसून का अनुमान लगाया है और इस साल एक जून से छह जुलाई के बीच कुल वर्षा ‘सामान्य के करीब’ थी। हालांकि, इस दौरान मध्य भारत में वर्षा में 10 फीसद और देश के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में दो फीसद कम थी।

मौसम विभाग के ताजा अनुमानों के मुताबिक छह जुलाई को समाप्त सप्ताह के दौरान पूर्व और उत्तर-पूर्वी भारत के प्रमुख चावल उगाने वाले क्षेत्र में बारिश की कमी 36 फीसदी तक थी। कृषि मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार चालू खरीफ सत्र में आठ जुलाई तक वाणिज्यिक फसलों – गन्ना, कपास, और जूट का रकबा करीब एक फीसदी कम था। चालू खरीफ सीजन में आठ जुलाई तक दालों का रकबा एक फीसदी बढ़कर 46.55 लाख हेक्टेयर हो गया, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में यह 46.10 लाख हेक्टेयर था। हालांकि, अरहर और उड़द का रकबा घट गया।

जुलाई में अच्छी बारिश होना जरूरी: तिलहनों में, सोयाबीन का रकबा 21.74 फीसद घटकर 54.43 लाख हेक्टेयर रह गया। जबकि मूंगफली का रकबा 19 फीसद घटकर 20.51 लाख हेक्टेयर रह गया। चालू सत्र में अब तक कुल मोटे अनाज का रकबा मामूली बढ़कर 65.31 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो एक साल पहले इसी अवधि में 64.36 लाख हेक्टेयर था। विशेषज्ञों ने कहा कि प्रमुख फसलों की बुवाई में कमी की भरपाई के लिए जुलाई में बारिश महत्वपूर्ण है।