श्रीनगर। कश्मीरी पंडित हर साल नवरेह का त्यौहार मनाते हैं, लेकिन इस साल यह दिन कुछ खास रहा। करीब 32 सालों के लंबे इंतजार के बाद श्रीनगर में माता शारिका देवी मंदिर में एक बार फिर कश्मीरी पंडितों ने पूजा की। इस दौरान पूजा में शामिल होने वालों में वे लोग भी थे, जो हिंसा के दौर में पलायन के लिए मजबूर हुए थे। माता की भक्ति में शामिल हुए लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं था। साथ ही वे अपने पिछले और नए अनुभवों को भी साझा कर रहे थे। कश्मीरी पंडित कैलेंडर के अनुसार, नवरेह, नववर्ष का पहला दिन होता है। कार्यक्रम में सांसद सुब्रमण्यम स्वामी मुख्य अतिथि थे।
श्रीनगर के मध्य में ‘हरी पर्वत’ नाम की छोटी पहाड़ी पर मौजूद माता शारिका देवी मंदिर में शनिवार को नजारा अलग था। तीन दशक से भी ज्यादा समय के बाद यह मौका आया था, जब कश्मीरी पंडित नवरेह के मौके पर माता की पूजा कर रहे हैं।
घाटी में दोबारा बसने की उम्मीद रखे लोगों में कश्मीरी पंडित विजय रैना ने कहा कि नए साल के दिन इस माहौल से विस्थापित हुए लोगों में अच्छा संदेश जाएगा। उन्होंने कहा कि पहले हम सोचते थे कि यहा वापसी नहीं हो पाएगी, लेकिन अब स्थिति सुधर रही है और लग रहा है कि पंडित समुदाय जल्द ही लौटेगा।
जेके पीस फोरम ने नवरेह मिलन उत्सव का आयोजन किया था। आयोजक सतीश मालदार कहते हैं कि आज फिर हम माता शारिका के आशीर्वाद से यहां आए। वे चाहते हैं कि एक बार फिर वही भाईचारा तैयार हो। उन्होंने कहा कि हमें इसमें संदेह नहीं है कि कश्मीर के लोग देशभक्त हैं और आशा है कि कश्मीर के ही लोग कश्मीरी पंडितों को वापस लाने का रास्ता तैयार करेंगे। उन्होंने इस नवरेह मिलन को नए युग की शुरुआत बताया है।
कश्मीरी पंडितों को न्याय मिलेगा
मालदार का कहना हैकि कोई भी हिंदू को खत्म नहीं कर सकता। उन्होंने यह भी कहा कि कश्मीरी पंडितों को उनका हक मिलेगा। उन्होंने माता शारिका से कश्मीरी पंडितों को न्याय दिलाने के लिए शक्ति की प्रार्थना की। मंदिर में पूजा के अलावा श्रीनगर स्थित शेर कश्मीर पार्क में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। यहां कई मुस्लिम नेता मौजूद रहे और उन्होंने भाईचारे को दोबारा तैयार करने की मांग की।