मानव को कर्म करने का सन्देश देती है ‘गीता’: बिरला

0
177

कुरुक्षेत्र। लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शनिवार को गीता जयंती महोत्सव के अवसर पर कुरूक्षेत्र में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया।

इस अवसर पर बिरला ने महामंडलेश्वर ज्ञानानंद महाराज के योगदान का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने अपने संपूर्ण जीवन को गीता के लिए समर्पित किया है और ‘जियो गीता’ के माध्यम से समाज को नई चेतना एवं प्रेरणा दी है। बिरला ने आगे कहा कि आचार्य ज्ञानानंद की प्रेरणा से कुरूक्षेत्र में भविष्य में गीता शोध का एक बड़ा वैश्विक केंद्रं बनने जा रहा है।

गीता में समाहित असीम ज्ञान का उल्लेख करते हुए बिरला ने कहा कि गीता धर्म ग्रंथ से अधिक जीवन का एक अद्भुत दर्शन है। यह कोई पुस्तक नहीं, बल्कि हमारे जीवन का आधार है।

बिरला ने कहा कि गीता मानव जीवन का वह मैनुअल है, जिसमें हमें हर समस्या, हर कठिनाई, हर उलझन का समाधान मिलता है। भारत की प्राचीन विरासत के विषय में बिरला ने कहा कि गीता को भारत में पंचम ग्रंथ के रूप में देखा जाता है। यही कारण है कि हर घर में गीता हमें किसी न किसी रूप में अवश्य मिलती है।

आधुनिक समय में गीता के योगदान के विषय में बिरला ने कहा कि वर्तमान समय में जब व्यक्ति तनाव, अनिर्णय, उलझन, परेशानियों में होता है, उस समय गीता सार पढ़ने से वह व्यक्ति तनाव से मुक्त होगा। भविष्य की चिंताओं से मुक्त होगा।

उन्होंने आगे कहा कि भौतिकवाद और प्रतिस्पर्धा के इस डिजिटल युग में युवा पीढ़ी बढ़ते तनाव, असुरक्षा और संशय की स्थिति का सामना कर रही है। युवा पीढ़ी के लिए गीता का अध्ययन सर्वाधिक उपयुक्त है।

उन्होंने कहा कि गीता का सार यही है कि हम कर्त्तव्यपथ पर निरंतर आगे बढें, कर्म का अहंकार भी न हो और फल की चिंता किए बिना अपने कर्त्तव्य का पालन करें। भारत की प्राचीन सांस्कृतिक विरासत के विषय में बिरला ने कहा कि आध्यात्मिकता भारतीय संस्कृति का सार तत्व है जो संपूर्ण विश्व को भारत की देन है।