स्विट्जरलैंड काले धन के खिलाफ लड़ाई में भारत का सहयोग करेगा

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डोरिस ने उम्मीद जताई कि स्विट्जरलैंड की संसद इस साल के अंत तक सूचनाओं के ऑटोमैटिक आदान-प्रदान को मंजूरी दे देगी।

नई दिल्ली। भारत और स्विट्जरलैंड ने टैक्स चोरी और काले धन के खिलाफ लड़ाई में सहयोग को बढ़ाने का फैसला किया है। कुछ महीने पहले यूरोपियन यूनियन ने भारत के साथ फाइनैंशल अकाउंट इन्फॉर्मेशन (एआईओआई) के आदान-प्रदान के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी, ताकि संदिग्ध काले धन के बारे में तत्काल जानकारी को साझा किया जा सके।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत दौरे पर पहुंचीं स्विट्जरलैंड की राष्ट्रपति डोरिस एल ने गुरुवार को टैक्स चोरी और काले धन से निपटने के लिए द्विपक्षीय सहयोग मजबूत करने के तौर-तरीकों पर चर्चा की।

प्रधानमंत्री का कहना था कि फाइनैंशल ट्रांजैक्शंस में पारदर्शिता दुनियाभर में चिंता का विषय है और इस मामले में स्विट्जरलैंड के साथ सहयोग जारी रहेगा। उन्होंने कहा, ‘टैक्स चोरी और काले धन से निपटने में भारत और स्विट्जरलैंड के बीच सहयोग मजबूत हुआ है।’

दोनों नेताओं का कहना था कि टैक्स चोरी और काले धन के खिलाफ अभियान में भारत और स्विट्जरलैंड के बीच अच्छा तालमेल रहा है। डोरिस ने उम्मीद जताई कि स्विट्जरलैंड की संसद इस साल के अंत तक सूचनाओं के ऑटोमैटिक आदान-प्रदान को मंजूरी दे देगी।

मोदी ने न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (एनएसजी) में भारत की एंट्री के लिए स्विट्जरलैंड के सहयोग के लिए भी उनका शुक्रिया अदा किया। उन्होंने कहा कि भारत मिसाइल टेक्नॉलजी कंट्रोल रिजीम में भारत की मेंबरशिप का समर्थन करने पर स्विट्जरलैंड का अहसानमंद है।

मोदी ने इस साल जून में स्विट्जरलैंड का दौरा किया था। इस दौरान स्विट्जरलैंड ने न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप में भारत की मेंबरशिप के समर्थन का ऐलान किया था। दोनों पक्षों ने रेलवे सेक्टर में सहयोग के लिए भी दो समझौते पर हस्ताक्षर किए।

स्विस फेडरल काउंसिल ने जून में कहा था कि टैक्स मामलों पर सूचनाओं के ऑटोमैटिक आदान-प्रदान के लिए ग्लोबल अग्रीमेंट एईओआई पर अमल 2018 में हो सकता है और डेटा के पहले खेप का आदान-प्रदान 2019 में होना है।

स्विट्जरलैंड को लंबे समय से भारतीयों की तरफ से काले धन रखने का सुरक्षित ठिकाना माना जाता रहा है। इस सिलसिले में सूचनाओं का आदान-प्रदान मल्टीलेटलर कॉम्पिटेंट अथॉरिटी अग्रीमेंट (एमसीसी) के आधार पर किया जाएगा।

यह समझौता सूचनाओं के आदान-प्रदान के इंटरनैशनल स्टैंडर्ड को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है और इसे ऑर्गनाइजेशन फॉर इकनॉमिक को-ऑपरेशन ऐंड डिवेलपमेंट (ओईसीडी) ने अंतिम रूप दिया है। इससे पहले भी तीन मौकों पर स्विट्जरलैंड के राष्ट्रपति भारत आ चुके हैं- 1998, 2003 और 2007 में।