सोना बना सरकार के लिए सिरदर्द, कर रहा सरकारी खजाने को खाली

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मुंबई।  सोना (gold) सरकार के लिए सिरदर्द बन गया है। क्योंकि यह सरकारी खजाने को खाली करता जा रहा है। इससे सरकार के चालू खाते का घाटा (सीएडी) बढ़ता जा रहा है। यह घाटा ज्यादा होने पर हमारे पास विदेश से सामान मंगाने के लिए पैसे की कमी हो जाएगी।

देश में  पेट्रोलियम पदार्थों के बाद सोने के आयात में सबसे अधिक विदेशी मुद्रा खर्च होती है। सरकार चाहती है कि सोने के आयात पर लगाम लगे। सरकार जल्द ही इस दिशा में कदम उठाने जा रही है।

अगस्त में सोने के आयात में 92.62 फीसदी की बढ़ोतरी
सोने के आयात में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। इस साल अगस्त में सोने के आयात में पिछले साल अगस्त के मुकाबले 92.62 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। पिछले साल अगस्त में 188.9 करोड़ डॉलर के सोने का आयात किया गया था।

इस साल अगस्त में यह आयात बढ़कर 363.94 करोड़ डॉलर का हो गया। सोने के आयात में इस साल जुलाई के मुकाबले अगस्त में 40 फीसदी का इजाफा रहा। पिछले वित्त वर्ष में भारत ने 860 टन सोने का आयात किया था। चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से लेकर अगस्त तक भारत 33.7 अरब डॉलर सोने का आयात कर चुका है।

सरकार क्यों है चिंतित
सोने के आयात में बढ़ोतरी से देश के चालू खाते के घाटे में इजाफा हो सकता है। निर्यात के मुकाबले आयात में अधिक बढ़ोतरी होने पर चालू खाते के घाटे में बढ़ोतरी होती है। इसका मतलब यह हुआ कि हमारे खजाने से विदेशी मुद्रा का भंडार खाली हो रहा है।

विशेषज्ञों का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में चालू खाते का घाटा हमारे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3 फीसदी हो जाएगा। पिछले साल की समान अवधि में यह घाटा जीडीपी का 1.5 फीसदी से भी कम था। यानी कि विदेशी मुद्रा जिस मात्रा में आ रहा है, उससे कहीं अधिक मात्रा में बाहर जा रहा है।

अब क्या है उपाय
सरकार सोने के आयात को कम करने के लिए आयात पर लगने वाले शुल्क को बढ़ा सकती है। फिलहाल सोने के आयात पर 10 फीसदी का आयात शुल्क लगता है। 14 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में होने वाली बैठक में भी बढ़ते आयात को लेकर चिंता जाहिर की गई।

सरकार ने गैर जरूरी चीजों के आयात को कम करने का फैसला किया है। वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक आयात में मुख्य हिस्सेदारी रखने वाले सोने के आयात को हतोत्साहित किया जा सकता है।